1. प्रकृ ति
प्रकृ ति क्या हैं चलो आज मैं आपको अपने विचारों से अपने सरल शब्दों से उसका पररचय करिाने की कोशशश
करिा हूूँ ! प्रकृ ति जजसे हम ब्रहमाांड / कायनाि / यूतनिसस / आदद क
े नाम से िो अिश्य ही जानिे हैं ! इसमें
पृथ्िी , आकाश, जल, अजनन और िायू सब क
ु छ ही आ जािा ! मेरें खयाल से प्रकृ ति िह हैं ! जजस ने पूरे
सांसार को अपने बल पर ही जन्म ददया / बनाया हैं एिां पूरे कायनाि को अपने हर इशारे से बड़े प्रेम पूिसक
चलािी भी है !
प्रकृ ति को ना आज िक कोई ने पूरा पहचाना हैं और मेरा विश्िास हैं कक उसे ना कोई पूरा पहचान सक
े गा !
मेरें दहसाब से यह हमे हमेश जीिन प्रदान करिी हैं ! आज िक मेंने िो इसको हमेशा क
ु छ न क
ु छ देिे ही देखा
हैं ! प्रकृ ति एक प्राकृ तिक पयासिरण िह है जो हमे जीिन प्रधान करिा हैं !
हमारे चारो और रक्षा किच कक िरह हमे अपनी बाहों / गौद मेँ रखिी है , प्रकृ ति हमारे आस पास कई रूप मेँ
हैं , जैसे िािािरण , मौसम , िलाब , नदी , पैड पौधे , पहाड़ , पठार जांगल , झरने , रेगगस्िान , बाररश
, जीि जन्िु , मनुष्य यह सब प्रकृ ति क
े अांश ही हैं !
प्रकृ ति ने कभी भी कसी क
े साथ ककसी भी चीज मेँ कोई भेद भाि कभी भी नहीां ककया ! प्रकृ ति क
े जल ,िायू ,
आकाश ,जमीन, पेड़ ,नदी, मौसम, पहाड़, झरने ,खतनज ,समुन्र, अनाज प्रकृ ति ने सभी को एक जैसा ही
ददया हैं !
कभी भी शहर , देश , जािी , शलांग या ककसी से भी भेदभाि नहीां ककया हैं , उसक
े शलए सब एक समान हैं !
प्रकृ ति ने मानि जाति को इस कायनाि मेँ एक बहुि बड़े उपहार कक िरह जन्म ददया हैं ! मेरें दहसाब से मानि
जाति को इसका ऋणी हर पल होना चादहये , बजाय उसक
े आज क
े ददन मनुष्य ही एक मात्र ऐसा प्राणी हैं !
जो तनरांिर अपने फायदे क
े शलए बबना सांकोच ,बबना रुक
े ,बबना समजे ,बबना कारण ,बबना बजाये, बबना डर
लगािार प्रकृ ति पर जुल्म करिे जा रहा हैं !
जुल्म ऐसा नहीां हैं कक मनुष्य शसफस एक दह ककसी फील्ड / भाग मेँ प्रकृ ति क
े ऊपर जुल्म कर रहा होगा ऐसा
नहीां हैं !
मनुष्य प्रकृ ति क
े हर भाग मेँ जुल्म करने से कोई सांकोच नहीां कर रहा है चाहें िह खतनज हो जांगल हो नदी हो
पहाड़ हो िायु हो आदद आदद !
पुनः जो उपयोग मेँ आ सक
े जजसे हम रर साइककल प्रोसैस कहिे है उनक
े ऊपर ककसी का कोई भी ज्यादा ध्यान
नहीां !
जो पहले हम पेककां ग सामग्री उपयोग करिे थे , बाांस कक टोकररया ,जुट कक थेली , पुराने कागज कक पेककां ग ,
लोहे की पेदटया आदद आदद िो आज कल करीब करीब बांद दह हो गई है !
2. ज्यादा फायदा या उपज क
े लालच मेँ चारो िरफ जमीन मेँ हमने जहर घोल ददया हैं , वपछले कई सालो से
जमीन क
े ऊपर एक अच्छी ख़ासी उररया कक एक मोटी परि बबछा दी हैं !
अब न आप कोई अच्छी उपज ले सकिे हैं न जमीन मेँ अब शजक्ि है कबत्रम खाद / दिा से लड़ने कक ,
प्राकृ तिक िरीक
े से अब कोई क
े चुयेँ का जन्म भी सांभि नहीां हैं , और न गोबर उपलब्ध है , चारो िरफ
मशीन ट्रैक्टर धुआूँ प्रदूषण दह प्रदूषण हैं आज क
े ददन !
अनाज भोजन मेँ सब्जी फल दाल गुड गेंहू चािल मक्का हर चीज मेँ क
ु छ ना क
ु छ मात्र मेँ आपको जहर जरूर
शमलेगा दोस्िों ! क्या कभी हमने सोचा है कक क
ु छ आराम और जल्दी पैसे कमाने क
े चकार मेँ हमने जहर भी
खाना शुरू कर ददया है !
अपनी और आने िाली हर नस्ल को हम कमजोरी , बीमारी क
े मुह मेँ धक
े ल देंगे !
आज हर भोजन मेँ खाद प्रदाथस मेँ जहर हमे कैं सर कक और ले जा रहा हें ! जमीन बांजर बनिी जा रही है
,आबादी बढ़िी जा रही है , इांसान बीमार कमजोर बन रहा है !
पानी जल को इांसान अपनी जागीर समज बैठा हैं , जल का इिना दूर उपयोग हो रहा हैं कक नदी नाले िलाब
सब बरसाि क
े ऊपर तनभसर होगे लगे हैं ! पानी पीने लायक ककसी भी िलाब नदी का अब बचा ही नहीां है !
बरसाि का जल सग्रह करने क
े कोई साधन नहीां है । जमीन क
े अांदर उसक
े पेट को इिने ज्यादा तछर और
गहरे कर ददये हैं कक आने िाले क
ु छ िक्ि क
े बाद िह भी जल पानी आपकी आने िाली पीढ़ी को नहीां शमलेगा !
इांसान आज क
े ददन शसफस और शसफस अपने स्िाथस क
े शलए दह जी रहा हैं ! उसे अपने शसिा ककसी कक भी गचांिा
नहीां है !
आने िाले भविष्य कक कल्पना भी इिनी डरािनी लगिी है ,परांिु इस मॉडनस युग में जो जीिा िही शसक
ां दर !
आज क
े पैसो और अपने स्िाथस क
े बल पर कल को अांधकार मेँ मि धक
े लो मेरें दोस्िों !
जजस प्रकृ ति ने आप को जीने क
े शलए हर चीज बबना मूल्य, बबना भेदभाि, बबना क
ु छ माांगे, सब क
ु छ ददया हो
! जीिन भर देिी भी रहिी है , और अगर इांसान कफर भी जुल्म करने से नहीां आयगा िाज !
िो दोस्िों हमें कभी भी नहीां रोना और भूलना चादहये आज क
े करोना 19 / सुनामी / बादल फटना / िूफानो
का डर / भूक
ां प / जिाला मुखी / सूखा / बाढ़ आदद आदद
ब्रामाण्ड / प्रकृ ति का अपना ही दम है, जजस ददन उसने आप पर थोडी सी भी नाराजगी ददखा दी अगर क
ु छ
समय प्रकृ ति रूठ गई िो समझो हम सब उठ जायांगे इस दुतनया से हमेशा क
े शलये !
आप प्रकृ ति का हर क्षण उसका उपकार मातनये , मािा वपिा भी शसफस यह प्रकृ ति क
े कारण दह हमे जन्म दे
पािे हैं , और जीिन दो िास्िि मैं प्रकृ ति ति दह हमे देिी हैं ! आज से यह प्रतिज्ञा लेिा हूूँ !
3. मेँ सदा उसका उपकार मानूूँगा / पयासिरण को ककसी भी हालि प्र्दूवषि नहीां करू
ां गा / प्रकृ ति का कम से कम
अपने काम क
े शलये उपयोग करू
ां गा मैं , हमेशा कोशशश करू
ां गा की मेरी िरफ से उसे कोई नुकसान नहीां पहुचांगा
एिम दूसरों को भी रोकने की कोशशश करू
ां गा !
अगर मैं आज अपनी इस भोली भाली जीिन प्रधान करने िाली इस महान प्रकृ ति को इिने कबीब से नहीां
देखिा िो मैं भी अपने आप को इस जीिन मे कभी माफ नहीां कर सकिा था !
धन्यिाद
िीरेंर श्रीिास्िि
25/7/2021