2
Most read
5
Most read
6
Most read
थॉमस हॉ स का राजनीितक दशन
[1588 -1679]
ारा – डॉ. ममता उपा याय
एसो. ो. कु.मायावती राजक य ातको र महािव ालय , बादलपुर,
गौतमबु नगर, उ. .
उ े य- तुत ई साम ी से िन ां कत उ े य क ाि संभािवत है-
 हॉ स के राजनीितक दशन का ान
 राजस ा के उदय एवं िवकास क जानकारी
 सावजिनक िवषय के िव ेषण क मता का िवकास
 वतं राजनीितक चंतन क वृि का िवकास
 िविभ राजनीितक िवचारधारा के तुलना मक अ ययन के आयाम उपल ध
कराना
 समसामियक सावजिनक जीवन क सम या के समाधान हेतु वैचा रक पृ भूिम का
िनमाण करना
थॉमस हॉ स 16व - 17व शता दी का ि टश राजनीितक दाशिनक है िजसे राजनीितक
चंतन के इितहास म िनरंकुश सं भुता के िस ांत का जनक माना जाता है। रा य क स ा
सव है या होनी चािहए, यह िवचार नया नह था । उसके पूव मै कयावेली और बोदा के
िवचार म उसक अिभ ि हो चुक थी कंतु हॉ स म िजतने वि थत और ता कक प
मे यह िस ांत आ है उतना उसके पहले नह आ । मै कयावेली के चंतन म सं भुता
का िस ांत अ प है ,तो वही बोदा ने रा य क सं भुता पर कई मयादाए आरोिपत क है ।
जैसे- ाकृितक कानून, संवैधािनक कानून, धा मक कानून तथा ि का संपि का अिधकार।
हॉ स ने सं भु को इन सभी मयादा से मु कर सव एवं िनबाध अिधकार दान कया।
रा य क सं भु स ा के औिच य को िस करने के िलए उसने सामािजक समझौता के िस ांत
का ितपादन कया ,िजसक ता कक और वि थत िववेचना के कारण संिवदा वादी
िवचारको- हॉ स ,लॉक , सो क वृह यी मे उसे शीष थान ा है। अपने िवचार के
ितपादन म अपनाई गई अ ययन प ित एवं धम स ा के थान पर राजनीितक स ा क
सव ता के प िन पण के कारण सामा यत: उसे ही आधुिनक राजनीित िव ान का जनक
समझा जाता है। हालां क यह एक बड़ी िविच ि थित है क 19व शता दी तक उसे एक बड़े
दाशिनक और राजनीितक िवचारक के प म नह पहचाना गया और बीसव शता दी के
म य तक अं ेजी भाषा के जगत म संभवतः सबसे बड़ा लेखक समझा जाने लगा। माइकल
आकशॉट ने उसका उिचत मू यांकन करते ए िलखा है क ‘’अं ेजी भाषा म ‘लेिवयाथन’
राजनीितक दशन क सव े रचना या संभवतः एकमा रचना है। ‘’ऑक शॉट[१९६०] और
गािथयर [१९६९] जैसेआधुिनक िवचारक उसके दशन म उदारवाद क झलक भी पाते ह।
जीवन और ि व- इं लड के एक छोटे से क बे-मां सबरी म 1588 म पैदा आ हॉ स
एक पादरी िपता क संतान था कंतु इसके बावजूद धम म उसक कोई िच नह थी। उसके
समय म मानवीय गित का इितहास आधुिनक युग म वेश कर चुका था और बड़ी-बड़ी
वै ािनक खोज एवं दाशिनक िस ांत का ितपादन आ था। इस कारण 16 वी सदी को
ितभाशाली ि य क शता दी कहा जाता है। अपने जीवन काल म यूरोप क या ा के
दौरान उसका संपक डेसकाट ज , गॅिलिलओ एवं गैसडी जैसी हि तय से आ िज ह ने उसके
जीवन और िवचार को नजदीक से भािवत कया। 1642 -1651 तक चलने वाले ि टेन
के गृह यु ने उसके जीवन और रचना को ब त भािवत कया। राजतं के समथक और
संसद समथक के म य चलने वाले इस यु म संसद समथक को िवजय ा ई , कंतु
राजवंश से िनकट संबंध रखने के कारण राजा चा स थम को दए गए ाण दंड ने उसे
भया ांत कर दया। उसके ज म के समय म भी पेन ने इं लड पर आ मण कया था
िजसके िवषय म उसने अपनी आ मकथा म िलखा क’’ मेरी जननी ने दो जुड़वा संतान को
ज म दया था- एक मुझे और दूसरे भय को।’’ गृह यु के दौरान राजतं का समथक होने
के नाते उसे अपना देश छोड़कर ांस के िलए पलायन करना पड़ा जहां उसे चा स ि तीय का
िश क बनने का अवसर िमला,जो ि टेन म संसदीय भुता कायम होने के बाद ि टेन का
राजा बना।
रचनाएं-
1. डी िसवे
2. लेिवयाथन
3. डी काप रे पिल टको
4. डी होिमने
5. एिलम स ऑफ ला
6.अ डायलॉग ऑन िसिवल वॉर
राजनीितक दशन क दृि से “लेिवयाथन” इनम सवािधक मह वपूण है िजसक रचना
1651 म क गई।
भाव-
१. हॉ स के चंतन पर इं लड क गृह यु क प रि थितय का सवािधक भाव है। गृहयु
जिनत अराजकता ने उसके मि त क पर गहरा भाव डाला और इस अराजकता को दूर करने
के िलए ही उसने िनरंकुश भुस ा के िस ांत को ज म दया और ितपा दत कया क
स य जीवन क थम शत एक शि शाली सरकार है,िजसके ित आमजन सहज समथन का
भाव रखते ह ।
२. उसके चंतन पर मै कयावेली और गैलीिलयो का भाव भी है।
अ ययन प ित - हॉ स क अ ययन प ित िनगमना मक[deductive] है, िजस पर
भौितक िव ान के पदाथ और गित के िनयम का भाव है ।
सं भुता का िस ांत
आधुिनक राजनीितक दशन क तीक अप रिमत सं भुता क धारणा का थम और पूण
ितपादन हॉ स के ारा कया गया। उसने सं भु का पद उस ि या ि समूह को
दया है िजसे लोग अपने अिधकार को ह तांत रत करते ह। सं भुता राजनीितक जीवन का
एक स य है िजसके िबना रा य का अि त व संभव नह है।
 सं भु स ाक आव यकता- अराजकता और अ व था को दूर करने के िलए हॉ स
ने सव एवं िनरंकुशता को आव यक बताया। इं लड म गृह यु से उपजी
अराजकता ने उसके इस मत को पु कया क समाज म शांित थापना के िलए
शि शाली स ाधारी का होना अ यंत आव यक है।
 सं भुता क िवशेषताएं-
o असीिमत एवं अमया दत- हॉ स के अनुसार सं भु कसी ई रीय, मानवीय
या ाकृितक कानून से मया दत नह है, बि क वह इनसे ऊपर है। उस पर
अंकुश लगाने का मतलब सव स ा का िन भावी हो जाना है। उसक स ा
इसिलए सव और अमया दत है य क समझौते के बाद लोग ने अपने सारे
अिधकार उसे स प दए थे िज ह ा कर वह लेिवयाथन[ दै य के आकार]
का हो गया है। चूं क संपि के कानूनी अिधकार का ज म रा य के साथ होता
है इसिलए सं भु ि क संपि जब चाहे तब ले सकता है । प है क वह
बोदा के इस िवचार से सहमत नह है क कर लगाने के िलए जन वीकृित
आव यक है।
o सम त कानून और याय का ोत - सं भु को सम त समाज क ओर से यह
िनणय करने का अिधकार है क शांित , सुर ाऔर व था बनाए रखने के
िलए या कया जाना उिचत है। उिचत -अनुिचत , याय-अ याय, शुभ-अशुभ,
नैितक-अनैितक के िनधारण का अिधकार उसे ही है।
o ि य और सं था के अिधकार का ोत- हॉ स कसी ि , समुदाय,
प रवार या चच के अिधकार को वीकार नह करता और यह ितपा दत
करता है क इन सभी के अिधकार का एकमा ोत सं भु है। सं भु के
िव यह सभी कसी अिधकार का दावा नह कर सकते।
o सं भुता अिवभा य और अदेय- सं भु अपने शासन करने के अिधकार को कसी
अ य को ह तांत रत नह कर सकता और ना ही कसी अ य को दे सकता है।
ऐसा करने से उसक स ा सव नह रह जाएगी।
o यु और शांित का िनणय करने का अिधकार- हॉ स का सं भु िवदेश नीित
के िनधारण म भी वतं और सव है य क यु और शांित के िवषय म
िनणय करने का अंितम अिधकार उसे ही है।
o सव ापकता- सं भु क स ा का े ािधकार रा य म रहने वाले सभी
ि य और समुदाय तक िव तृत है । कोई भी इसके आदेश के पालन से
बच नह सकता।
सं भु स ा क उ पि का आधार- सामािजक समझौता िस ांत
हॉ स ने िनरंकुश स ा क अवधारणा को पु करने के िलए सामािजक समझौता िस ांत का
सहारा िलया है। य िप रा य क उ पि के िवषय म सामािजक समझौता िस ांत नया नह
था। ाचीन यूनान और भारत म इस िस ांत का उ लेख िमलता है। ाचीन भारतीय
िवचारक कौ ट य के ‘’अथशा ’’ और ‘महाभारत’गए जैसे ंथ म यह उ लेख िमलता है क
म य याय से परेशान होकर लोग ा के पास शांित और सुर ा के िलए और ा ने धरती
पर सु व था के िलए राजा को भेजा। राजा और जा के बीच समझौता आ क जा क
सुर ा का काय राजा के ारा कया जाएगा और बदले म जा अनाज का छठा और प य
का दसवां भाग राजा को कर के प म देगी।यूनान मे सोफ ट िवचारक एवं म य युग मे
टॉमस ए नास ने भी रा य क उ पि समझौते ारा बताई थी , कंतु पि म म समझौता
िस ांत को वि थत ढंग से तुत करने का ेय हॉ स , लाक और सो को है। राजनीितक
स ा क उ पि समझौते के मा यम से कैसे ई , इस िवषय म हॉ स के िवचार क िववेचना
िन ां कत शीषक के अंतगत क जा सकती है-
मानव वभाव क िववेचना-
‘ वयं को जानो’ इस आधार वा य के साथ हॉ स अपने राजनीितक चंतन का ारंभ करता
है और यह िवचार करता है क राजनीितक समाज का येक अ ययन मानव वभाव
के अ ययन से ारंभ होना चािहए। मानव वभाव के िवषय म ारंिभक ा या उसके ंथ
‘डी काप रे पॉिल टक ‘ मे िमलती है। ‘ लेिवयाथन’ के थम भाग म भी उसने मानव वभाव
का िच ण कया है। मानव वभाव के िवषय म हॉ स के िन कष मै कयावेली के समान ही
नकारा मक है। वह भी मनु य को वाथ , आ म ेमी, मह वाकां ी , शि ेमी और यश क
कामना करने वाला मानता है। कंतु मै कयावेली के िवचार जहां उसके प रि थितय के
अवलोकन पर आधा रत है, वही हॉ स अवलोकन के साथ-साथ िव ान के गित के िनयम के
आधार पर मानव वभाव क ा या करता है। उसके अनुसार कृित क अ य व तु के
समान मानव शरीर भी एक यं के समान काय करता है और ाकृितक जगत म िव मान
गित का िनयम उसक गितिविधय को उ ेिलत करता है। मनु य का मन बा पदाथ क
गित से आक षत और िवक षत होता है, फलतः वाथ, सुर ा, शि और यश क कामना
जैसे संवेग पैदा होते ह। मानव वभाव क उसक धारणा को इं लड क गृह यु क
प रि थितय ने भी भािवत कया था। उसने अपने जीवन काल म देखा था क लोग कैसे
वाथवश एक दूसरे से संघष करने को आतुर रहते ह।
हॉ स के अनुसार मनु य म आ मर ा क वृि सबसे बल होती है और वह जीवन भर
शि को ा और उसक वृि म संल रहता है। शि क उसक आकां ा उसक मृ यु के
साथ ही समा होती है। मनु य शि म वृि इसिलए नह चाहता क ऐसा करने से उसे
आनंद िमलता है,बि क वह ऐसा इसिलए करता है य क उसे भय होता है
क मौजूदा शि और संसाधन उसके हाथ से िनकल ना जाए।
मनु य के िवषय म हॉ स एक मह वपूण त य सामने रखता है क सभी मनु य शि य क
दृि से समान है । ‘’शारी रक तथा मानिसक शि य क दृि से कृित नेसभी मनु य को
बराबर बनाया है। य िप शारी रक प से एक ि दूसरे से बिल हो सकता है और
बौि क प से अिधक ती ण हो सकता है, कंतु सभी बात को यान म रखने पर उनम अिधक
अंतर नह है।’’ प है क हॉ स मानवीय वभाव म बुराइय के दशन ही करता है। यहां तक
क उसके अनुसार मनु य के अंदर दया भाव का उदय भी वाथवश ही होता है । उसके
अनुसार मनु य जब कसी दुखी ि को देखता है तो यह सोचकर दया भाव द शत करता
है क कह उसक भी ऐसी ही दशा ना हो जाए ।इसी भयऔर लेश के भाव से दया क उ पि
होती है।
ाकृितक अव था का िच ण-
रा य क उ पि से पूव क ि थित को अपने ाकृितक अव था का नाम दया है। मानवीय
वभाव क बुराइय के कारण ाकृितक अव था उसक दृि म अराजकता और िनरंतर संघष
क अव था थी। शि , स मान और जीवन र ा क आकां ा सभी म समान प से होने के
कारण लोग म ित पधा बनी रहती थी और हर ण उ ह यह भय सताता रहता था क
कोई शि शाली ि उनके जीवन का अंत ना कर दे।
‘’शि ही स य है ‘’,यह कहावत उस समय च रताथ होती थी । इस अव था म मनु य के
बीच संघष के तीन कारण थे- ित पधा, भय और यश । हॉ स के श द मेँ, ाकृितक अव था
म मानव जीवन एकाक , दीन-मिलन , िणक और पाशिवक था । .......ऐसी दशा म उ ोग,
सं कृित ,जल प रवहन, भवन िनमाण, यातायात के साधन , ान व समाज के िलए कोई
थान नह था। प है क हॉ स के चंतन म शि एक मुख त व है।
 ाकृितक अिधकार एवं ाकृितक कानून- हॉ स ारा िचि त ाकृितक अव था
अराजक अव था अव य थी , कंतु वह मानता है क यह िनयम िवहीन नह थी और
इस अव था म लोग अिधकार का भी उपभोग करते थे। ाकृितक अिधकार इस प
म मौजूद थे क लोग आ मर ा के िलए कुछ भी करने को वतं थे। य िप इस कार
के ाकृितक अिधकार संघष को ज म देते थे य क हर ि इसका उपयोग करना
चाहता था। ाकृितक अव था म ाकृितक कानून मनु य के सामा य िववेक के िनयम
थे जो इन संघष से एक सीमा तक ि क र ा करते थे। हॉ स ने ऐसे 19 कानून
का उ लेख कया है िज हे वह’ शांित क धाराएं ‘कहता है। इनम तीन मु य है-
1. येक ि को शांित थािपत करने का यास करना चािहए।
2. एक ि को आ मर ा एवं शांित थापना के िलए अपने ाकृितक
अिधकार का याग करने के िलए त पर रहना चािहए।
3. ि ारा उन समझौत का पालन कया जाना चािहए जो उसने वयं
कए ह।
दूसरे श द म ाकृितक अव था म सामा य िववेक का यह िनयम चिलत था क “तुम
दूसर के साथ वैसा ही बताव करो जैसा अपने साथ चाहते हो।’’ सेवाइन ने इन िनयम को
‘’दूरद शता के िस ांत और सामािजक आधार के िनयम कहा है।’’ हालां क यह िनयम
िववेकपूण परामश मा थे, बा यकारी नह ।
 ाकृितक अव था के समथन म दए गए तक - हॉ स ारा व णत ाकृितक अव था
अनुमान पर आधा रत है, यह कोई ऐितहािसक स य नह है। हालां क हॉ स ने इस
अनुमान को सही िस करने के िलए कुछ उदाहरण दए ह। जैसे- गृह यु के समय
इं लड म सं भु शासक के अभाव म वैसी ही अराजकता देखी गई जैसी ाकृितक
अव था म थी। अंतररा ीय राजनीित म रा य के ऊपर कोई सव स ा ना होने के
कारण उनम पर पर यु क ि थित देखी जाती है ाकृितक अव था क याद दलाती
है । यही नह , हॉ स क मा यता है क संयु रा य अमे रका म आज भी कुछ
जनसमुदाय ाकृितक अव था का जीवन जी रहे ह, आधुिनक स यता और सं कृित से
दूर है और कृित के संसग म रहते ए चिलत परंपरा के आधार पर अपना
जीवन यापन कर रहे ह। आपक इस बात का समथन अमे रका का आिमश समुदाय
करता है जो मु यतः पिसलवेिनया, ओिहयो, इंिडयाना ,इिलनॉइस जैसे रा य म
िनवास करता है।
समझौते का व प-
ाकृितक अव था क अराजकता, बा यकारी िनयम का अभाव और जीवन सुर ा के ल य
से े रत होकर लोग ने आपस म समझौता करके एक ऐसी राजस ा को ज म दया शांित
और सु व था थािपत कर सके तथा लोग क जीवन क र ा कर सक। समझौते के व प
क ा या करते ए हॉ स कहा क ‘’ ाकृितक अव था के येक ि ने हर दूसरे ि
के साथ यह समझौता कया क ‘’म अपने ऊपर शासन करने का सम त अिधकार इस ि
या ि समूह को देता ं, इस शत पर क पर तुम भी अपने सारे अिधकार इसे सम पत
करो।’’ इस कथन से प है क हॉ स के चंतन म समझौता सामािजक है जो लोग ारा
आपस म कया गया है, न क राजनीितक। शासक समझौते का अंग नह है,बि क वह उसका
प रणाम है। हॉ स ारा तुत सामािजक समझौता िस ांत अपनी पूववत िस ात इस
अथ म िभ है क जहां अ य संिवदा वादी िस ांत म समझौता शासक और शािसत के म य
होता है ता क शासक पर िनयं ण बना रहे, जब क हॉ स उसे सभी मयादा से मु करने
के िवचार से उसे समझौते का अंग नह बनाता।
समझौते से उ प राज स ा का व प-
लोग क पार प रक समझौते से जो सं भुता उ दत ई, वह एक ि या ि समूह थी
जो सवािधकार संप है, य क लोग ने पार प रक सहमित से अपने सारे अिधकार उसे
दान कर दए ह। कुछ िवचारको क दृि म हॉ स के चंतन म सहमित का यह त व उसे
संसदीय जातं के करीब ले जाता है जहां पार प रक सहमित और िवचार िवमश से िनणय
िलए जाते ह। सवािधकार संप लेिवयाथन ाकृितक अव था क अराजकता का अंत कर
येक ि के जीवन क र ा करने म स म है और समझौते का उ लंघन करने पर येक
ि को दंिडत करने का अिधकारी है। दंड का भय समझौते को बनाए रखने के िलए
आव यक है य क हॉ स अनुसार ‘’िबना तलवार क शि क संिवदाएं केवल श द जाल है
जो मनु य क र ा करने म स म नह हो सकती। ‘’ य द शासक लोग क जीवन क र ा
करने म स म नह होता है या उसके आदेश ि के जीवन पर कुठाराघात करते ह, इस
अव था म ि शासक का िवरोध कर सकता है य क आ म सुर ा के ल य क ाि के
िलए ही उसका िनमाण कया गया था। कंतु ऐसा करने का प रणाम ाकृितक अव था क
फर से वापसी हो जाएगा अथात अराजकता का सा ा य फर से थािपत हो जाएगा।
ोफ़े सर हानशा इस संबंध म िलखा है क ‘’हॉ स के चंतन म पूण िनरंकुशता या पूण
अराजकता का कोई िवक प नह है। ‘’ अथात या तो ि ाकृितक अव था क अराजकता
म रहना वीकार कर या िनरंकुश सं भु क अधीनता म।
इस कार हॉ स के चंतन म रा य क थापना का एकमा कारण ि क सुर ा के िलए
रा य का अिनवाय होना है, वह मनु य के सामािजक वभाव क अिभ ि नह है और ना
ही वाभािवक िवकास का प रणाम बि क एक िवशेष आव यकता क पू त के िलए ि य
ारा िन मत एक साधन है । रा य एक उपयोगी सं था है, वह ि य क भि और स मान
का अिधकारी नह है िजस पर राजतं के समथक जोर देते थे। उ लेखनीय है क हॉ स ने
कुलीन तं और जातं क तुलना म राजतं ीय शासन को े बताया है , य क कुलीन
तं म शासन स ा के िलए िविभ वग के म य संघष चलता रहता है, जब क लोकतं म
येक ि अपने वाथ के िलए संघषरत रहता है। एक ि के प म राजा म भी वाथ
हो सकता है, कंतु एक ि क वाथपरता अनेक ि य क वाथपरता से कम
हािनकारक होगी। इसके अित र राजा अपने वाथ का जा के िहत के साथ ज दी
सामंज य थािपत कर सकता है। वह राजतं को वाभािवक शासन व था मानता है।
उसके अनुसार, “अ य सभी सरकार क रचना कृि म प से िव ोह ारा जज रत राजतं
क अवशेष राख से ई है”।
िन कष-
उपयु िववेचन के आधार पर हॉ स के राजनीितक दशन को िन ां कत बंदु मे सार प
म तुत कया जा सकता है-
 मनु य वभाव से वाथ , अिभमानी, शि ेमी एवं असामािजक ाणी है।
 रा य एक कृि म सं था है, वाभािवक नह ।
 रा य का िनमाण मनु य के ारा अपने जीवन क र ा करने और शांित तथा
सु व था थािपत करने के िलए कया गया है।
 रा य बनने से पूव लोग ाकृितक अव था म रहते थे जहां ाकृितक िनयम और
अिधकार तो थे , कंतु बा यकारी स ा के अभाव म सभी के अिधकार सुरि त नह
थे।
 ाकृितक अव था अराजकता और शि के िलए संघष क अव था थी िजसम ि
का जीवन सुरि त नह था।
 रा य के िनमाण के िलए लोग ने आपस म समझौता करके सं भुता को ज म दया,
शासक उस समझौते का अंग नह है। इसिलए समझौता पूरी तरह सामािजक है,
राजनीितक नह ।
 सं भुता असीिमत, सव और अिवभा य है।
 सामा यतया ि को रा य के िवरोध का अिधकार नह है. ि को रा य के िवरोध
का अिधकार तभी है जब रा य ारा समझौते का उ लंघन करते ए उसके जीवन क
र ा ना क जाए।
 शासक के िवरोध का ता पय समझौते का भंग होना और ाकृितक अव था क
पुनवापसी है।
 रा य एक उपयोगी सं था है िजसका िनमाण जीवन र ा के उ े य से कया गया है।
वह कसी भी प म ि य क भि और समपण का अिधकारी नह है।
 राजस ा क उ पि के बाद ाकृितक िनयम नाग रक कानून का प ले लेते ह
िजसका िनमाण शासक के ारा कया जाता है। सामा य कानून और संवैधािनक
कानून म िववाद उ प होने पर अंितम कानून का िनणय सं भु के ारा ही कया जा
सकता है।
 धा मक काय या िव ास तब तक कानून स मत नह होते जब तक वे शासक ारा
वीकृत न हो।
आलोचना-
हॉ स को अपने समय म अपने िवचार के कारण आलोचक का कोप भाजन बनना पड़ा।
लैरे डेन जैसे िवचारक ने उसके िवचार का खंडन कया और हाइट हॉल ने लेिवयाथन को
घातक िवचार से उसी कार पूण पाया जैसे एक सप िवष से पूण होता है। ोफ़ेसर वाहन
ने लेिवयाथन को एक भावहीन और िन फल ंथ कहा है। हॉ स क आलोचना िन ां कत
आधार पर क जाती है-
 मानव वभाव के िवषय म उसके िवचार एकांगी और दोषपूण है। उसने मनु य को
दुगुण का समु य माना है जब क मनु य म बुराइय के साथ-साथ ब त से मानवीय
गुण भी है िजन क उपे ा उसके चंतन म दखाई देती है।
 उसका ाकृितक अव था का िच ण भी अवा तिवक है। न तो ऐितहािसक दृि से और
न ही ता कक दृि से ाकृितक अव था का समथन कया जा सकता है। मानव शा
और इितहास दोन से इस बात क पुि होती है क ऐसा कोई युग नह रहा जब
येक ि क दूसरे के साथ यु क ि थित बनी रही हो। य द ऐसा होता तो जैसा
क लॉक कहा है,’’ मानव जाित ही न हो गई होती। ‘’ आ दम समाज क इकाई
कुटुंब या कुल था जो रीित- रवाज से बंधा आ था, न क एकाक ि
 हॉ स का समझौता िस ांत तक क कसौटी पर खरा नह उतरता। आलोचक क
दृि म ाकृितक अव था म रहने वाले दानव समान ि य के िलए िवन नाग रक
बनना असंभव है ,जैसा समझौता िस ांत म दखाया गया है। इस बात पर िव ास
करना क ठन है एक दूसरे के र के यासे लोग अचानक शांित समझौते के िलए कैसे
तैयार हो गए ।
 शासक समझौते का अंग नह है और वह समझौते क शत से बा य नह है, ऐसी
मा यता समझौते के सामा य िस ांत के िवपरीत है य क समझौता दो प कार के
बीच होता है। िबना शत लोग के ारा अपनी सभी अिधकार का समपण िववेक
संगत तीत नह होता। लॉक के श द म,’’ या ाकृितक अव था म रहने वाले लोग
इतने मूख थे क वे लोमिणय और जंगली िबि लय क शरारती से तो बचने क फ
करते थे, ले कन उस अव था म संतु थे और अपने आप को सुरि त अनुभव करते थे
जब शेर उ ह िनगले जा रहा हो ।’’
 उसक रा य संबंधी धारणा पुिलस रा य क धारणा है िजसम लोक क याणकारी
रा य का कोई गुण नह है। गू च के श द म, लेिवयाथन......... दबाव का यं ।,
वतं िवकास उ मुख स यता क ाि का अप रहाय साधन नह । ‘’
 हॉ स ने रा य और सरकार म कोई अंतर नह कया है और इस कार रा य ही नह
अिपतु सरकार के िव भी जा के िव ोह को अमा य ठहराया है।
 उसका िनरंकुश सं भुता का िस ांत ि गत वतं ता और िव शांित क दृि से
घातक है। वहार म रा य क स ा पर समाज क नैितकता, परंपरा और
अंतरा ीय े म अ य रा य क भुता का िनयं ण होता है। वहार म कसी भी
रा य के ारा िनरंकुश स ा का योग नह कया जाता। इस दृि से हॉ स का
चंतन ावहा रक राजनीित के िस ांत से परे दखाई देता है। िनरंकुशता तो स ा
का वभाव होता है, कंतु एक राजनीितक िस ांत कार का दािय व होता है ऐसे उपाय
सुझाए िजससे स ा पर अंकुश लगाया जा सके, ले कन हॉ स ने एक िस ांत कार के
प म अपने इस दािय व को भुला दया।
हॉ स का योगदान-
अपनी वैचा रक और असंगितय के बावजूद राजनीितक चंतन के इितहास म हॉ स ने
िन ां कत योगदान दए-
 तक आधा रत वै ािनक प ित का योग कर राजनीितक अ ययन को
म ययुगीन धा मकता से पूरी तरह मु कया और वा तिवक अथ म आधुिनक
राजनीित िव ान का जनक बना।
 रा यस ा क उ पि के िवषय म चिलत धा मक िस ांत के थान पर एक
तकपूण, वि थत िस ांत का ितपादन कया।
 उसने जैसा क ोफे सर ड नंग ने कहा है, न केवल राजनीित को धमशा से
पृथक कया बि क उसे धम और नीित शा से उ थान दान कया।
 उसका दशन आधुिनक ि वाद और उपयोिगतावाद का माग श त करता
है। वह नह भूलने देता क रा य का अि त व मानवीय जीवन क र ा
और आव यकता क पू त के िलए है।
हॉ स के राजनीितक दशन का भाव पीनोजा ,बथम ऑि टन और पे सर जैसे िवचारको
पर पड़ा। बीसव शता दी क फासीवादी और नाजीवादी िवचारधाराएं भी उससे भािवत
ई। इस संबंध म ोफेसर सेवाइन का कथन उ लेखनीय है,’’ अं ेजी भाषा भाषी जाितय ने
िजतने भी राजनीितक दाशिनक को ज म दया है, उनम हॉ स कदािचत महानतम है। ‘’
हॉ स के दशन म ि वाद
य िप राजनीितक चंतन के इितहास म हॉ स को िनरंकुश सं भुता के िस ांत का जनक
माना जाता है, कंतु उसके चंतन म यह िविच िवरोधाभास है क वह एक ि वादी
िवचारक भी है । ोफेसर ड नंग , ोफे सर सेवाइन एवं कुछ आधुिनक ट पणीकार जैसे
माइकल ऑकशॉट ,गािथयार एवं जॉन रो स उसे ि वादी ही नह बि क बीसव शता दी
का उदारवादी तक मानते है। ड नंग ने िलखा है क ‘’ हॉ स के िस ांत म रा य क शि का
उ कष होते ए भी उसका मूल आधार पूण प से ि वादी है। वह सब ि य क
ाकृितक समानता पर उतना ही बल देता है िजतना क िम टन या अ य कसी ांितकारी
िवचारक ने दया है।’’
ि वाद या उदारवाद या है-
ि वाद 19व शता दी क एक राजनीितक िवचारधारा है जो जॉन टूअट िमल, एडम
ि मथ, एवं हरबट पसर जैसे िवचारक के िवचार म ई। ि वाद का िवकिसत
प उदारवाद है जो बीसव शता दी क देन है। समसामियक नव उदारवाद, उदारवाद का
िवकिसत प है।
मुख मा यताएं -
 एक नैितक ाणी के प म ि उसका िववेक उसके अिधकार और उसका
अि त व सबसे मुख है।
 येक ि वयं म एक अनुपम ाणी है।
 समाज रा य एवं अ य सं थाएं मनु य ारा िन मत और संचािलत है।
 ि और उसके अिधकार सा य ह, रा य सिहत सभी सं थाएं ि
आव यकता क पू त क साधन है।
 ि वयं अपने भा य का िवधाता एवं िहत का िनणायक है। रा य समाज
को उसके जीवन म कम से कम ह त ेप करना चािहए[laissez faire]
 रा य को ि आ थक जीवन म िब कुल ह त ेप नह करना चािहए , बि क
वतं ित पधा को ो सािहत करना चािहए। इस ित पधा म यो यतम लोग
क िवजय ही समाज को समृि के रा ते पर ले जाएगी।
हॉ स के चंतन म ि वाद के मुख बंदु -
ि वाद या उदारवाद क उ मा यता के आधार पर जब हम आपके िवचार का
िव ेषण करते ह तो उसके चंतन म ि वाद िन ां कत प म िनिहत दखाई देता है –
 चंतन का ारंभ मानव वभाव क िववेचना से- ि वाद क मूल मा यता के
अनु प हॉ स ने अपने चंतन का ारंभ मानव वभाव क िववेचना से कया है और
मनु य को आ म क त, अहम वादी, शि ेमी एवं मनोवेग से संचािलत ाणी
माना है। यह ि वाद का मनोवै ािनक आधार है। उसका यह िवचार क
राजनीितक समाज का येक अ ययन मानव वभाव के चंतन से ारंभ होना चािहए,
पूणतः ि वादी है।
 ाकृितक अिधकार और कानून क धारणा ि वाद के अनु प- ाकृितक अव था
का िच ण करते समय हॉ स ने मनु य के िजन ाकृितक अिधकार क चचा क है, वे
उसे ि वाद के समीप ले जाती है। उसने माना क रा य के अभाव म भी लोग
अिधकार का उपभोग करते थे। ाकृितक अव था म जीवन र ा का अिधकार सबसे
मह वपूण था और लोग इस अिधकार क र ा के िलए कुछ भी करने को वतं थे ।
अथात लोग ितबंध रिहत वतं ता का उपभोग करते थे । इतना ही नह , हॉ स यह
भी मानता है क लोग शि य क दृि से समान थे । । प है क हॉ स के चंतन म
वतं ता और समानता जैसे अिधकार क धारणा दखाई देती है।
ाकृितक अव था म िजन कानून क चचा उसने क है वे िववेक स मत है िज ह उसने
शांित क धाराएं कहा है। उसका िवचार है क ाकृितक अव था म लोग िववेक के
इस सामा य िनयम से शािसत थे क’’ तुम दूसर के साथ वैसा ही बताव करो जैसा
तुम अपने साथ चाहते हो।’’ ि वादी िवचारधारा मानवीय िववेक को सवािधक
मह व देती हैऔर ाकृितक कानून क धारणा म िववेक को मह व देने के कारण हॉ स
ि वादी है।
 रा य कृि म सं था है जो मानवीय आव यकता क पू त का साधन है- हॉ स एक
समझौता वादी िवचारक है ि वाद क मा यता के अनु प रा य को एक साधन के
प म तुत करता है। रा य का िनमाण वयं ि य के ारा अपने जीवन क
र ा और शांित और व था थािपत करने के िलए कया गया। हॉ स के चंतन म
रा य उपयोगी सं था है िजसके औिच य का एकमा आधार उसका उपयोगी बने
रहना है। वह नाग रक के भि भाव का अिधकारी नह है। वेपर के श द म, “....
रा य ि य का ल य नह , बि क ि रा य का ल य ह”।
 रा य क स ा के सृजन का आधार ि य क पार प रक सहमित- हॉ स के चंतन
म ि वादी भावना इस प म भी मौजूद है क उसने रा य क स ा का आधार
ाकृितक अव था के लोग क पार प रक सहमित माना है जो समझौते के मा यम
से क गई। सं भु क स ा का ोत ि है। यह बात और है क एक बार
स ा ा हो जाने के बाद सं भु िनरंकुश प म उ दत आ।वेपर ने िलखा है, “...
रा य को नैितक स ा शािसत क सहमित से ा होती है”।
 ि को रा य के िव िव ोह का अिधकार- आ म सुर ा का अिधकार हॉ स के
चंतन का क ीय त व है, अतः वह ि को िनरंकुश सं भु के िव िव ोह करने
का अिधकार भी देता है, य द सं भु ि के जीवन क र ा करने म असफल हो
जाए। सामा यतः ि रा य क अव ा नह कर सकता, कंतु जैसा क हॉ स ने
िलखा है क ‘’ य द सं भु ि को वयं क ह या करने , आ मणकारी को ज मी
न करने या भोजन, वायु ,दवाइय के सेवन से मना करता है, िजन पर उसका जीवन
िनभर करता है, तो ि ऐसे आदेश को मानने से मना कर सकता है। ‘’ आधुिनक
उदारवादी रा य म भी मानवािधकार और मौिलक अिधकार क धारणा के
अंतगत जीवन के अिधकार को अनु लंघनीय माना गया है।
 पुिलस रा य क धारणा ि वाद के अनु प- ि वाद के मुख मा यता है रा य
को अनाव यक ि के जीवन म ह त ेप नह करना चािहए। उसका काय तो पुिलस
के समान शांित और सु व था क थापना करना और लोग के जीवन क र ा करना
है। हॉ स का सं भु भी लोग को य िव य करने, अपने रहने के िलए थान, अपना
भोजन तथा अपना ापार चुनने क एवं अपने ब को अपनी इ छा अनुसार िश ा
दलाने क पूरी वतं ता देता है। हॉ स क धारणा थी क शासक को ि य के
िनजी िव ास और िवचार म ह त ेप नह करना चािहए तथा कानून उस बाड़ के
समान है जो याि य को रोकने के िलए नह ,बि क सही रा ते पर रखने के िलए खड़ी
क जाती है। वेपर ने हॉ स को उ धृत करते ए िलखा है क ‘’ ि क बुि तथा
अंतःकरण रा य क प ंच से बाहर है”।
 ाकृितक अव था म ित पधा का िवचार नव उदारवाद के अनु प- ि वाद और
उदारवाद का समसामियक प नव उदारवाद है, िजसम आ थक े म आ थक
िवकास हेतु मु ित पधा को ो सािहत कया जाता है। हॉ स ने िजस ाकृितक
अव था का वणन कया है. उसम ि य के म य संघष का एक कारण उनके म य
चलने वाली ित पधा को माना है। िनि त प से यह ित पधा जीवन उपयोगी
व तु को शि के मा यम से ा करने के िलए रही होगी। िव मान समाज म
मौजूद ित पधा का ल य भी आ थक समृि को ा करना है, अतः कहा जा सकता
है इस दृि से हॉ स का चंतन नव उदारवादी है ।
िन कष - िन कषतः यह कहा जा सकता है क सामा यतः हॉ स के चंतन म िनरंकुश
रा य का समथन िमलता है , कंतु उसक िवचारधारा म ि वाद के त व भी मुखर प म
मौजूद है। सेवाइन के श द म कहा जा सकता है क ‘’हॉ स के सं भु क सव शि
उसके ि वाद क आव यक पूरक है। ‘’
References-
1. Britanica.com
2. C. L. Wayper,Political Thought
3. Hobbes,Leviathan ,quoted by wayper
4. Prabhudutt Sharma , Rajnitik Vicharon Ka Itihas
5. Sabine ,A History Of Political Theory
6. William Archibald Dunning,A History Of Political Theories
7. Wikipedia.org,image
मु य श द-
गृह यु - कसी रा य के अंदर िविभन् वग के म य होने वाला संघष
ाकृितक अव था - रा य और समाज के िनमाण के पूव क अव था
उदारवाद - ि वाद का िवकिसत प जो ि के अिधकार को मह व देने के साथ-साथ
रा य के अि त व एवं मह व को भी मा यता देता है एवं रा य क लोक क याणकारी भूिमका
को वीकार करता है।
ाकृितक अिधकार - वे प रि थितयां जो ि के जीवन के िलए वाभािवक और अप रहाय
ह, ाकृितक अिधकार कहलाते ह। हॉ स ने ाकृितक अिधकार उन वतं ता को कहा है
जो ाकृितक अव था म लोग ारा उपभोग क जाती थी।
उपयोिगतावाद -19व शता दी क िवचारधारा जो भौितक सुख को सा य मानती है और
रा य का उ े य अिधकतम ि य को अिधकतम सुख उपलि ध बताती है।
पुिलस रा य - ऐसा रा य जो पुिलस के समान केवल शांित, सुर ा और सु व था थािपत
करने का काय करता है।
-
िनबंधा मक-
1. हॉ स के समझौता िस ांत क आलोचना मक ा या क िजए।
2. हॉ स िनरंकुश सं भुता के िस ांत का जनक है, िववेचना क िजए।
3. हॉ स का राजनीितक दशन सं भुता का शि शाली कथन होने के साथ-साथ ि वाद
का भी सश व है, िववेचना क िजए।
4. अं ेजी भाषा भाषी जाितय ने िजतने भी राजनीितक दाशिनक को ज म दया है, हॉ स
उनम महानतम है, सेबाईन के इस कथन के आधार पर राजनीितक दशन म हॉ स योगदान
पर काश डािलए।
व तुिन ;
1. हॉ स के चंतन म राजनीित और धम के संबंध के िवषय म कौन सा कथन सही है-
[अ ] उसने राजनीित को धम से अलग कया। [ब ] राजनीित को धम से उ थान दान
कया। [स ] सं भु को धम के अधीन बताया। [द ] उपयु सभी।
2. हॉ स क िवचारधारा म ाकृितक अव था के िवषय म कौन सा कथन
अस य है-
[अ ] यह िनयम िवहीन अव था थी।[ ब] इसम ाकृितक कानून िव मान थे। [स] जीवन
संघषमय था। [द ]जीवन णभंगुर था ।
3. हॉ स ने कस शासन व था को सव म बताया है-
[अ ] राजतं [ब ] कुलीन तं [स ] लोकतं [ द] अिधनायक तं
4. हॉ स के चंतन म लेिवयाथन कसका तीक है-
[अ ] सवािधकार संप शासक का[ ब ] जनता का[ स ] मया दत सं भु का [द ] अिधकार
संप जनता का
5. हॉ स क मानव वभाव संबंधी धारणा पर िव ान के कस िनयम का भाव है-
[अ ] गित का िनयम [ब] सापे ता का िनयम [स] गु वाकषण का िनयम [द ] उपयु म से
कोई नह ।
6. इं लड के गृह यु म हॉ स कसका समथक था-
[अ ] राजतं का [ब] संसद का [स ] कुलीन तं का [द ] जनता का
7. हॉ स के चंतन म रा य कैसी सं था है-
[अ ] लोक क याणकारी [ब] उपयोगी[ स] िनरथक [द ] ाकृितक
उ र-1. ब 2. अ 3. अ 4 .अ 5. अ 6. अ 7. ब

More Related Content

PDF
PDF
Hanna arant ke rajneetik vichar
PDF
Jean jacques rousseasu ka rajnitik darshan by Dr. MamataUpadhyay, Asso. Prof....
PDF
Gramsci ka samajvadi chintan
PDF
Karl popper ke rajnitik vichar
PPTX
भक्तिकाल की परिस्थतिया-2.pptx
PDF
Karl marks ka vaigyanik samajwad
PDF
Laski ke rajnitik vichar
Hanna arant ke rajneetik vichar
Jean jacques rousseasu ka rajnitik darshan by Dr. MamataUpadhyay, Asso. Prof....
Gramsci ka samajvadi chintan
Karl popper ke rajnitik vichar
भक्तिकाल की परिस्थतिया-2.pptx
Karl marks ka vaigyanik samajwad
Laski ke rajnitik vichar

What's hot (20)

PDF
John lock ka rajnitik darshan
PDF
Hegel ka rajnitik darshan
PDF
R.h. tawney ke rajnitik vichar
PDF
Bharat me rajya rajniti ka vikas
PDF
PPTX
Gurudwara reform movement
PPTX
Freedom fighters
PPT
Bhagat singh2
PPTX
Presentation bhagat singh
PPT
Bhagat singh biography
PPT
Presentation2
PPTX
Sahid bhagat singh
PPTX
The gujarati language
PPT
Bhagat Singh
PDF
प्लेटो का काव्य सिद्धांत.PPT केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखण्ड, राँची
PPTX
Bhakti movement in india
PPTX
R.k narayan biography ppt
PPTX
Piagets theory of cognitive development
PPTX
हिंदी भाषा का स्वरुप। (कालखंड की दृष्टीसे )आदिकाल,मध्यकाल, आधुनिककाल ।
PPTX
Indian Freedom Struggle:Gandhian Era
John lock ka rajnitik darshan
Hegel ka rajnitik darshan
R.h. tawney ke rajnitik vichar
Bharat me rajya rajniti ka vikas
Gurudwara reform movement
Freedom fighters
Bhagat singh2
Presentation bhagat singh
Bhagat singh biography
Presentation2
Sahid bhagat singh
The gujarati language
Bhagat Singh
प्लेटो का काव्य सिद्धांत.PPT केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखण्ड, राँची
Bhakti movement in india
R.k narayan biography ppt
Piagets theory of cognitive development
हिंदी भाषा का स्वरुप। (कालखंड की दृष्टीसे )आदिकाल,मध्यकाल, आधुनिककाल ।
Indian Freedom Struggle:Gandhian Era
Ad

Similar to Hobbs ka rajnitik darshan (20)

PDF
Thomas acquinas ke rajnitik vichar
PDF
Arastoo ka rajnitik darshan
PDF
antarrashtriya rajniti ke drishtikon ya upagam
DOC
Hindi Right of REVOLUTION & Political CORRUPTION
PDF
VIBHOM SWAR PATRIKA JANURAY MARCH 2025.pdf
PPT
NATIONALISM IN INDIA (PART1)भारत में राष्ट्रवाद
PDF
Kanoon ka shasan
PDF
समानतावाद.pdf
PDF
Sociological Analysis of Mile Durkheims Theory of Collective Consciousness in...
PDF
Nyay ki dharana
PDF
JOHN RAWLS EVAM AMARTYA SEN - THEORY OF JUSTICE
PDF
Chapter 2 freedom XI Political Science
PDF
Direct democracy in switzerland
PPTX
PEDAGOGY OF SST.pptx
PPTX
Fratelli tutti 1+2 (Hindi).pptx
PDF
Molik Adhikar (1).pdf
PDF
Chapter - 4 social justice XI Political Science
DOCX
आदर्शवाद.docx
PPTX
Hind Swaraj (hindi)
PDF
UGC NET Sociology In Hindi book pdf [Sample]
Thomas acquinas ke rajnitik vichar
Arastoo ka rajnitik darshan
antarrashtriya rajniti ke drishtikon ya upagam
Hindi Right of REVOLUTION & Political CORRUPTION
VIBHOM SWAR PATRIKA JANURAY MARCH 2025.pdf
NATIONALISM IN INDIA (PART1)भारत में राष्ट्रवाद
Kanoon ka shasan
समानतावाद.pdf
Sociological Analysis of Mile Durkheims Theory of Collective Consciousness in...
Nyay ki dharana
JOHN RAWLS EVAM AMARTYA SEN - THEORY OF JUSTICE
Chapter 2 freedom XI Political Science
Direct democracy in switzerland
PEDAGOGY OF SST.pptx
Fratelli tutti 1+2 (Hindi).pptx
Molik Adhikar (1).pdf
Chapter - 4 social justice XI Political Science
आदर्शवाद.docx
Hind Swaraj (hindi)
UGC NET Sociology In Hindi book pdf [Sample]
Ad

More from Dr. Mamata Upadhyay (20)

PDF
Untitled document (34).pdf
PDF
अस्तित्ववाद.pdf
PDF
पर्यावरणवाद.
PDF
शोध प्रविधि.pdf
PDF
राजनीतिक सिद्धांत का पतन.pdf
PDF
सामाजिक न्याय हेतु सकारात्मक कार्यवाही.pdf
PDF
जूलियस न्येरेरे
PDF
राष्ट्रीय सुरक्षा की धारणा
PDF
फ़्रांस की संसद
PDF
भारतीय विदेश नीति के उद्देश्य एवं सिद्धांत
PDF
सामाजिक एवं राजनीतिक अनुसंधान
PDF
Sampling Method (निदर्शन )
PDF
बलवंत राय मेहता समिति
PDF
Content analysis
PDF
21vi shatabdi me bharatiya videshniti ke badalte ayam
PDF
Bharat me sthaniya svashasan ka vikas (2)
PDF
Method s of primary data collection questionnaire
PDF
PDF
Community development programme
PDF
Case study method
Untitled document (34).pdf
अस्तित्ववाद.pdf
पर्यावरणवाद.
शोध प्रविधि.pdf
राजनीतिक सिद्धांत का पतन.pdf
सामाजिक न्याय हेतु सकारात्मक कार्यवाही.pdf
जूलियस न्येरेरे
राष्ट्रीय सुरक्षा की धारणा
फ़्रांस की संसद
भारतीय विदेश नीति के उद्देश्य एवं सिद्धांत
सामाजिक एवं राजनीतिक अनुसंधान
Sampling Method (निदर्शन )
बलवंत राय मेहता समिति
Content analysis
21vi shatabdi me bharatiya videshniti ke badalte ayam
Bharat me sthaniya svashasan ka vikas (2)
Method s of primary data collection questionnaire
Community development programme
Case study method

Recently uploaded (13)

PDF
Determiners in English Grammar – Types, Rules & Examples
PDF
Tool and Die Maker (Dies & Moulds) Question Paper MCQ ITI NIMI Question Bank...
PDF
Surveyor Question Paper MCQ ITI Surveying NIMI Question Bank Book Free
PDF
RRB REASONING most important questions group d paper analysis railway ntpc
PDF
Textile Mechatronics Question Paper MCQ ITI NIMI Question Bank Book Free
PDF
The Russian Revolution: Causes, Events & Impact
PDF
Manufacturing Process Control and Automation Technician Question Paper MCQ IT...
PPTX
narendra ethical committee.pptxjeusjjsunsisj
PDF
Mechanic Electric Vehicle Question Paper MCQ ITI NIMI EV Question Bank Book Free
PPTX
mukta_101855.pptx all about pearl in ayurveda
PPTX
gospel and awareness poster jesus ands.pptx
PDF
The French Revolution: A Turning Point in World History
PPTX
INTERNATIONAL YOGA DAY 21 june IMPORTANCE.pptx
Determiners in English Grammar – Types, Rules & Examples
Tool and Die Maker (Dies & Moulds) Question Paper MCQ ITI NIMI Question Bank...
Surveyor Question Paper MCQ ITI Surveying NIMI Question Bank Book Free
RRB REASONING most important questions group d paper analysis railway ntpc
Textile Mechatronics Question Paper MCQ ITI NIMI Question Bank Book Free
The Russian Revolution: Causes, Events & Impact
Manufacturing Process Control and Automation Technician Question Paper MCQ IT...
narendra ethical committee.pptxjeusjjsunsisj
Mechanic Electric Vehicle Question Paper MCQ ITI NIMI EV Question Bank Book Free
mukta_101855.pptx all about pearl in ayurveda
gospel and awareness poster jesus ands.pptx
The French Revolution: A Turning Point in World History
INTERNATIONAL YOGA DAY 21 june IMPORTANCE.pptx

Hobbs ka rajnitik darshan

  • 1. थॉमस हॉ स का राजनीितक दशन [1588 -1679] ारा – डॉ. ममता उपा याय एसो. ो. कु.मायावती राजक य ातको र महािव ालय , बादलपुर, गौतमबु नगर, उ. . उ े य- तुत ई साम ी से िन ां कत उ े य क ाि संभािवत है-  हॉ स के राजनीितक दशन का ान  राजस ा के उदय एवं िवकास क जानकारी  सावजिनक िवषय के िव ेषण क मता का िवकास  वतं राजनीितक चंतन क वृि का िवकास  िविभ राजनीितक िवचारधारा के तुलना मक अ ययन के आयाम उपल ध कराना  समसामियक सावजिनक जीवन क सम या के समाधान हेतु वैचा रक पृ भूिम का िनमाण करना
  • 2. थॉमस हॉ स 16व - 17व शता दी का ि टश राजनीितक दाशिनक है िजसे राजनीितक चंतन के इितहास म िनरंकुश सं भुता के िस ांत का जनक माना जाता है। रा य क स ा सव है या होनी चािहए, यह िवचार नया नह था । उसके पूव मै कयावेली और बोदा के िवचार म उसक अिभ ि हो चुक थी कंतु हॉ स म िजतने वि थत और ता कक प मे यह िस ांत आ है उतना उसके पहले नह आ । मै कयावेली के चंतन म सं भुता का िस ांत अ प है ,तो वही बोदा ने रा य क सं भुता पर कई मयादाए आरोिपत क है । जैसे- ाकृितक कानून, संवैधािनक कानून, धा मक कानून तथा ि का संपि का अिधकार। हॉ स ने सं भु को इन सभी मयादा से मु कर सव एवं िनबाध अिधकार दान कया। रा य क सं भु स ा के औिच य को िस करने के िलए उसने सामािजक समझौता के िस ांत का ितपादन कया ,िजसक ता कक और वि थत िववेचना के कारण संिवदा वादी िवचारको- हॉ स ,लॉक , सो क वृह यी मे उसे शीष थान ा है। अपने िवचार के ितपादन म अपनाई गई अ ययन प ित एवं धम स ा के थान पर राजनीितक स ा क सव ता के प िन पण के कारण सामा यत: उसे ही आधुिनक राजनीित िव ान का जनक समझा जाता है। हालां क यह एक बड़ी िविच ि थित है क 19व शता दी तक उसे एक बड़े दाशिनक और राजनीितक िवचारक के प म नह पहचाना गया और बीसव शता दी के म य तक अं ेजी भाषा के जगत म संभवतः सबसे बड़ा लेखक समझा जाने लगा। माइकल आकशॉट ने उसका उिचत मू यांकन करते ए िलखा है क ‘’अं ेजी भाषा म ‘लेिवयाथन’ राजनीितक दशन क सव े रचना या संभवतः एकमा रचना है। ‘’ऑक शॉट[१९६०] और गािथयर [१९६९] जैसेआधुिनक िवचारक उसके दशन म उदारवाद क झलक भी पाते ह। जीवन और ि व- इं लड के एक छोटे से क बे-मां सबरी म 1588 म पैदा आ हॉ स एक पादरी िपता क संतान था कंतु इसके बावजूद धम म उसक कोई िच नह थी। उसके समय म मानवीय गित का इितहास आधुिनक युग म वेश कर चुका था और बड़ी-बड़ी वै ािनक खोज एवं दाशिनक िस ांत का ितपादन आ था। इस कारण 16 वी सदी को
  • 3. ितभाशाली ि य क शता दी कहा जाता है। अपने जीवन काल म यूरोप क या ा के दौरान उसका संपक डेसकाट ज , गॅिलिलओ एवं गैसडी जैसी हि तय से आ िज ह ने उसके जीवन और िवचार को नजदीक से भािवत कया। 1642 -1651 तक चलने वाले ि टेन के गृह यु ने उसके जीवन और रचना को ब त भािवत कया। राजतं के समथक और संसद समथक के म य चलने वाले इस यु म संसद समथक को िवजय ा ई , कंतु राजवंश से िनकट संबंध रखने के कारण राजा चा स थम को दए गए ाण दंड ने उसे भया ांत कर दया। उसके ज म के समय म भी पेन ने इं लड पर आ मण कया था िजसके िवषय म उसने अपनी आ मकथा म िलखा क’’ मेरी जननी ने दो जुड़वा संतान को ज म दया था- एक मुझे और दूसरे भय को।’’ गृह यु के दौरान राजतं का समथक होने के नाते उसे अपना देश छोड़कर ांस के िलए पलायन करना पड़ा जहां उसे चा स ि तीय का िश क बनने का अवसर िमला,जो ि टेन म संसदीय भुता कायम होने के बाद ि टेन का राजा बना। रचनाएं- 1. डी िसवे 2. लेिवयाथन 3. डी काप रे पिल टको 4. डी होिमने 5. एिलम स ऑफ ला 6.अ डायलॉग ऑन िसिवल वॉर राजनीितक दशन क दृि से “लेिवयाथन” इनम सवािधक मह वपूण है िजसक रचना 1651 म क गई।
  • 4. भाव- १. हॉ स के चंतन पर इं लड क गृह यु क प रि थितय का सवािधक भाव है। गृहयु जिनत अराजकता ने उसके मि त क पर गहरा भाव डाला और इस अराजकता को दूर करने के िलए ही उसने िनरंकुश भुस ा के िस ांत को ज म दया और ितपा दत कया क स य जीवन क थम शत एक शि शाली सरकार है,िजसके ित आमजन सहज समथन का भाव रखते ह । २. उसके चंतन पर मै कयावेली और गैलीिलयो का भाव भी है। अ ययन प ित - हॉ स क अ ययन प ित िनगमना मक[deductive] है, िजस पर भौितक िव ान के पदाथ और गित के िनयम का भाव है । सं भुता का िस ांत आधुिनक राजनीितक दशन क तीक अप रिमत सं भुता क धारणा का थम और पूण ितपादन हॉ स के ारा कया गया। उसने सं भु का पद उस ि या ि समूह को दया है िजसे लोग अपने अिधकार को ह तांत रत करते ह। सं भुता राजनीितक जीवन का एक स य है िजसके िबना रा य का अि त व संभव नह है।  सं भु स ाक आव यकता- अराजकता और अ व था को दूर करने के िलए हॉ स ने सव एवं िनरंकुशता को आव यक बताया। इं लड म गृह यु से उपजी अराजकता ने उसके इस मत को पु कया क समाज म शांित थापना के िलए शि शाली स ाधारी का होना अ यंत आव यक है।
  • 5.  सं भुता क िवशेषताएं- o असीिमत एवं अमया दत- हॉ स के अनुसार सं भु कसी ई रीय, मानवीय या ाकृितक कानून से मया दत नह है, बि क वह इनसे ऊपर है। उस पर अंकुश लगाने का मतलब सव स ा का िन भावी हो जाना है। उसक स ा इसिलए सव और अमया दत है य क समझौते के बाद लोग ने अपने सारे अिधकार उसे स प दए थे िज ह ा कर वह लेिवयाथन[ दै य के आकार] का हो गया है। चूं क संपि के कानूनी अिधकार का ज म रा य के साथ होता है इसिलए सं भु ि क संपि जब चाहे तब ले सकता है । प है क वह बोदा के इस िवचार से सहमत नह है क कर लगाने के िलए जन वीकृित आव यक है। o सम त कानून और याय का ोत - सं भु को सम त समाज क ओर से यह िनणय करने का अिधकार है क शांित , सुर ाऔर व था बनाए रखने के िलए या कया जाना उिचत है। उिचत -अनुिचत , याय-अ याय, शुभ-अशुभ, नैितक-अनैितक के िनधारण का अिधकार उसे ही है। o ि य और सं था के अिधकार का ोत- हॉ स कसी ि , समुदाय, प रवार या चच के अिधकार को वीकार नह करता और यह ितपा दत करता है क इन सभी के अिधकार का एकमा ोत सं भु है। सं भु के िव यह सभी कसी अिधकार का दावा नह कर सकते। o सं भुता अिवभा य और अदेय- सं भु अपने शासन करने के अिधकार को कसी अ य को ह तांत रत नह कर सकता और ना ही कसी अ य को दे सकता है। ऐसा करने से उसक स ा सव नह रह जाएगी।
  • 6. o यु और शांित का िनणय करने का अिधकार- हॉ स का सं भु िवदेश नीित के िनधारण म भी वतं और सव है य क यु और शांित के िवषय म िनणय करने का अंितम अिधकार उसे ही है। o सव ापकता- सं भु क स ा का े ािधकार रा य म रहने वाले सभी ि य और समुदाय तक िव तृत है । कोई भी इसके आदेश के पालन से बच नह सकता। सं भु स ा क उ पि का आधार- सामािजक समझौता िस ांत हॉ स ने िनरंकुश स ा क अवधारणा को पु करने के िलए सामािजक समझौता िस ांत का सहारा िलया है। य िप रा य क उ पि के िवषय म सामािजक समझौता िस ांत नया नह था। ाचीन यूनान और भारत म इस िस ांत का उ लेख िमलता है। ाचीन भारतीय िवचारक कौ ट य के ‘’अथशा ’’ और ‘महाभारत’गए जैसे ंथ म यह उ लेख िमलता है क म य याय से परेशान होकर लोग ा के पास शांित और सुर ा के िलए और ा ने धरती पर सु व था के िलए राजा को भेजा। राजा और जा के बीच समझौता आ क जा क सुर ा का काय राजा के ारा कया जाएगा और बदले म जा अनाज का छठा और प य का दसवां भाग राजा को कर के प म देगी।यूनान मे सोफ ट िवचारक एवं म य युग मे टॉमस ए नास ने भी रा य क उ पि समझौते ारा बताई थी , कंतु पि म म समझौता िस ांत को वि थत ढंग से तुत करने का ेय हॉ स , लाक और सो को है। राजनीितक स ा क उ पि समझौते के मा यम से कैसे ई , इस िवषय म हॉ स के िवचार क िववेचना िन ां कत शीषक के अंतगत क जा सकती है-
  • 7. मानव वभाव क िववेचना- ‘ वयं को जानो’ इस आधार वा य के साथ हॉ स अपने राजनीितक चंतन का ारंभ करता है और यह िवचार करता है क राजनीितक समाज का येक अ ययन मानव वभाव के अ ययन से ारंभ होना चािहए। मानव वभाव के िवषय म ारंिभक ा या उसके ंथ ‘डी काप रे पॉिल टक ‘ मे िमलती है। ‘ लेिवयाथन’ के थम भाग म भी उसने मानव वभाव का िच ण कया है। मानव वभाव के िवषय म हॉ स के िन कष मै कयावेली के समान ही नकारा मक है। वह भी मनु य को वाथ , आ म ेमी, मह वाकां ी , शि ेमी और यश क कामना करने वाला मानता है। कंतु मै कयावेली के िवचार जहां उसके प रि थितय के अवलोकन पर आधा रत है, वही हॉ स अवलोकन के साथ-साथ िव ान के गित के िनयम के आधार पर मानव वभाव क ा या करता है। उसके अनुसार कृित क अ य व तु के समान मानव शरीर भी एक यं के समान काय करता है और ाकृितक जगत म िव मान गित का िनयम उसक गितिविधय को उ ेिलत करता है। मनु य का मन बा पदाथ क गित से आक षत और िवक षत होता है, फलतः वाथ, सुर ा, शि और यश क कामना जैसे संवेग पैदा होते ह। मानव वभाव क उसक धारणा को इं लड क गृह यु क प रि थितय ने भी भािवत कया था। उसने अपने जीवन काल म देखा था क लोग कैसे वाथवश एक दूसरे से संघष करने को आतुर रहते ह। हॉ स के अनुसार मनु य म आ मर ा क वृि सबसे बल होती है और वह जीवन भर शि को ा और उसक वृि म संल रहता है। शि क उसक आकां ा उसक मृ यु के साथ ही समा होती है। मनु य शि म वृि इसिलए नह चाहता क ऐसा करने से उसे आनंद िमलता है,बि क वह ऐसा इसिलए करता है य क उसे भय होता है क मौजूदा शि और संसाधन उसके हाथ से िनकल ना जाए। मनु य के िवषय म हॉ स एक मह वपूण त य सामने रखता है क सभी मनु य शि य क दृि से समान है । ‘’शारी रक तथा मानिसक शि य क दृि से कृित नेसभी मनु य को बराबर बनाया है। य िप शारी रक प से एक ि दूसरे से बिल हो सकता है और
  • 8. बौि क प से अिधक ती ण हो सकता है, कंतु सभी बात को यान म रखने पर उनम अिधक अंतर नह है।’’ प है क हॉ स मानवीय वभाव म बुराइय के दशन ही करता है। यहां तक क उसके अनुसार मनु य के अंदर दया भाव का उदय भी वाथवश ही होता है । उसके अनुसार मनु य जब कसी दुखी ि को देखता है तो यह सोचकर दया भाव द शत करता है क कह उसक भी ऐसी ही दशा ना हो जाए ।इसी भयऔर लेश के भाव से दया क उ पि होती है। ाकृितक अव था का िच ण- रा य क उ पि से पूव क ि थित को अपने ाकृितक अव था का नाम दया है। मानवीय वभाव क बुराइय के कारण ाकृितक अव था उसक दृि म अराजकता और िनरंतर संघष क अव था थी। शि , स मान और जीवन र ा क आकां ा सभी म समान प से होने के कारण लोग म ित पधा बनी रहती थी और हर ण उ ह यह भय सताता रहता था क कोई शि शाली ि उनके जीवन का अंत ना कर दे। ‘’शि ही स य है ‘’,यह कहावत उस समय च रताथ होती थी । इस अव था म मनु य के बीच संघष के तीन कारण थे- ित पधा, भय और यश । हॉ स के श द मेँ, ाकृितक अव था म मानव जीवन एकाक , दीन-मिलन , िणक और पाशिवक था । .......ऐसी दशा म उ ोग, सं कृित ,जल प रवहन, भवन िनमाण, यातायात के साधन , ान व समाज के िलए कोई थान नह था। प है क हॉ स के चंतन म शि एक मुख त व है।  ाकृितक अिधकार एवं ाकृितक कानून- हॉ स ारा िचि त ाकृितक अव था अराजक अव था अव य थी , कंतु वह मानता है क यह िनयम िवहीन नह थी और इस अव था म लोग अिधकार का भी उपभोग करते थे। ाकृितक अिधकार इस प म मौजूद थे क लोग आ मर ा के िलए कुछ भी करने को वतं थे। य िप इस कार
  • 9. के ाकृितक अिधकार संघष को ज म देते थे य क हर ि इसका उपयोग करना चाहता था। ाकृितक अव था म ाकृितक कानून मनु य के सामा य िववेक के िनयम थे जो इन संघष से एक सीमा तक ि क र ा करते थे। हॉ स ने ऐसे 19 कानून का उ लेख कया है िज हे वह’ शांित क धाराएं ‘कहता है। इनम तीन मु य है- 1. येक ि को शांित थािपत करने का यास करना चािहए। 2. एक ि को आ मर ा एवं शांित थापना के िलए अपने ाकृितक अिधकार का याग करने के िलए त पर रहना चािहए। 3. ि ारा उन समझौत का पालन कया जाना चािहए जो उसने वयं कए ह। दूसरे श द म ाकृितक अव था म सामा य िववेक का यह िनयम चिलत था क “तुम दूसर के साथ वैसा ही बताव करो जैसा अपने साथ चाहते हो।’’ सेवाइन ने इन िनयम को ‘’दूरद शता के िस ांत और सामािजक आधार के िनयम कहा है।’’ हालां क यह िनयम िववेकपूण परामश मा थे, बा यकारी नह ।  ाकृितक अव था के समथन म दए गए तक - हॉ स ारा व णत ाकृितक अव था अनुमान पर आधा रत है, यह कोई ऐितहािसक स य नह है। हालां क हॉ स ने इस अनुमान को सही िस करने के िलए कुछ उदाहरण दए ह। जैसे- गृह यु के समय इं लड म सं भु शासक के अभाव म वैसी ही अराजकता देखी गई जैसी ाकृितक अव था म थी। अंतररा ीय राजनीित म रा य के ऊपर कोई सव स ा ना होने के कारण उनम पर पर यु क ि थित देखी जाती है ाकृितक अव था क याद दलाती है । यही नह , हॉ स क मा यता है क संयु रा य अमे रका म आज भी कुछ जनसमुदाय ाकृितक अव था का जीवन जी रहे ह, आधुिनक स यता और सं कृित से दूर है और कृित के संसग म रहते ए चिलत परंपरा के आधार पर अपना
  • 10. जीवन यापन कर रहे ह। आपक इस बात का समथन अमे रका का आिमश समुदाय करता है जो मु यतः पिसलवेिनया, ओिहयो, इंिडयाना ,इिलनॉइस जैसे रा य म िनवास करता है। समझौते का व प- ाकृितक अव था क अराजकता, बा यकारी िनयम का अभाव और जीवन सुर ा के ल य से े रत होकर लोग ने आपस म समझौता करके एक ऐसी राजस ा को ज म दया शांित और सु व था थािपत कर सके तथा लोग क जीवन क र ा कर सक। समझौते के व प क ा या करते ए हॉ स कहा क ‘’ ाकृितक अव था के येक ि ने हर दूसरे ि के साथ यह समझौता कया क ‘’म अपने ऊपर शासन करने का सम त अिधकार इस ि या ि समूह को देता ं, इस शत पर क पर तुम भी अपने सारे अिधकार इसे सम पत करो।’’ इस कथन से प है क हॉ स के चंतन म समझौता सामािजक है जो लोग ारा आपस म कया गया है, न क राजनीितक। शासक समझौते का अंग नह है,बि क वह उसका प रणाम है। हॉ स ारा तुत सामािजक समझौता िस ांत अपनी पूववत िस ात इस अथ म िभ है क जहां अ य संिवदा वादी िस ांत म समझौता शासक और शािसत के म य होता है ता क शासक पर िनयं ण बना रहे, जब क हॉ स उसे सभी मयादा से मु करने के िवचार से उसे समझौते का अंग नह बनाता। समझौते से उ प राज स ा का व प- लोग क पार प रक समझौते से जो सं भुता उ दत ई, वह एक ि या ि समूह थी जो सवािधकार संप है, य क लोग ने पार प रक सहमित से अपने सारे अिधकार उसे दान कर दए ह। कुछ िवचारको क दृि म हॉ स के चंतन म सहमित का यह त व उसे
  • 11. संसदीय जातं के करीब ले जाता है जहां पार प रक सहमित और िवचार िवमश से िनणय िलए जाते ह। सवािधकार संप लेिवयाथन ाकृितक अव था क अराजकता का अंत कर येक ि के जीवन क र ा करने म स म है और समझौते का उ लंघन करने पर येक ि को दंिडत करने का अिधकारी है। दंड का भय समझौते को बनाए रखने के िलए आव यक है य क हॉ स अनुसार ‘’िबना तलवार क शि क संिवदाएं केवल श द जाल है जो मनु य क र ा करने म स म नह हो सकती। ‘’ य द शासक लोग क जीवन क र ा करने म स म नह होता है या उसके आदेश ि के जीवन पर कुठाराघात करते ह, इस अव था म ि शासक का िवरोध कर सकता है य क आ म सुर ा के ल य क ाि के िलए ही उसका िनमाण कया गया था। कंतु ऐसा करने का प रणाम ाकृितक अव था क फर से वापसी हो जाएगा अथात अराजकता का सा ा य फर से थािपत हो जाएगा। ोफ़े सर हानशा इस संबंध म िलखा है क ‘’हॉ स के चंतन म पूण िनरंकुशता या पूण अराजकता का कोई िवक प नह है। ‘’ अथात या तो ि ाकृितक अव था क अराजकता म रहना वीकार कर या िनरंकुश सं भु क अधीनता म। इस कार हॉ स के चंतन म रा य क थापना का एकमा कारण ि क सुर ा के िलए रा य का अिनवाय होना है, वह मनु य के सामािजक वभाव क अिभ ि नह है और ना ही वाभािवक िवकास का प रणाम बि क एक िवशेष आव यकता क पू त के िलए ि य ारा िन मत एक साधन है । रा य एक उपयोगी सं था है, वह ि य क भि और स मान का अिधकारी नह है िजस पर राजतं के समथक जोर देते थे। उ लेखनीय है क हॉ स ने कुलीन तं और जातं क तुलना म राजतं ीय शासन को े बताया है , य क कुलीन तं म शासन स ा के िलए िविभ वग के म य संघष चलता रहता है, जब क लोकतं म येक ि अपने वाथ के िलए संघषरत रहता है। एक ि के प म राजा म भी वाथ हो सकता है, कंतु एक ि क वाथपरता अनेक ि य क वाथपरता से कम हािनकारक होगी। इसके अित र राजा अपने वाथ का जा के िहत के साथ ज दी
  • 12. सामंज य थािपत कर सकता है। वह राजतं को वाभािवक शासन व था मानता है। उसके अनुसार, “अ य सभी सरकार क रचना कृि म प से िव ोह ारा जज रत राजतं क अवशेष राख से ई है”। िन कष- उपयु िववेचन के आधार पर हॉ स के राजनीितक दशन को िन ां कत बंदु मे सार प म तुत कया जा सकता है-  मनु य वभाव से वाथ , अिभमानी, शि ेमी एवं असामािजक ाणी है।  रा य एक कृि म सं था है, वाभािवक नह ।  रा य का िनमाण मनु य के ारा अपने जीवन क र ा करने और शांित तथा सु व था थािपत करने के िलए कया गया है।  रा य बनने से पूव लोग ाकृितक अव था म रहते थे जहां ाकृितक िनयम और अिधकार तो थे , कंतु बा यकारी स ा के अभाव म सभी के अिधकार सुरि त नह थे।  ाकृितक अव था अराजकता और शि के िलए संघष क अव था थी िजसम ि का जीवन सुरि त नह था।  रा य के िनमाण के िलए लोग ने आपस म समझौता करके सं भुता को ज म दया, शासक उस समझौते का अंग नह है। इसिलए समझौता पूरी तरह सामािजक है, राजनीितक नह ।  सं भुता असीिमत, सव और अिवभा य है।  सामा यतया ि को रा य के िवरोध का अिधकार नह है. ि को रा य के िवरोध का अिधकार तभी है जब रा य ारा समझौते का उ लंघन करते ए उसके जीवन क र ा ना क जाए।
  • 13.  शासक के िवरोध का ता पय समझौते का भंग होना और ाकृितक अव था क पुनवापसी है।  रा य एक उपयोगी सं था है िजसका िनमाण जीवन र ा के उ े य से कया गया है। वह कसी भी प म ि य क भि और समपण का अिधकारी नह है।  राजस ा क उ पि के बाद ाकृितक िनयम नाग रक कानून का प ले लेते ह िजसका िनमाण शासक के ारा कया जाता है। सामा य कानून और संवैधािनक कानून म िववाद उ प होने पर अंितम कानून का िनणय सं भु के ारा ही कया जा सकता है।  धा मक काय या िव ास तब तक कानून स मत नह होते जब तक वे शासक ारा वीकृत न हो। आलोचना- हॉ स को अपने समय म अपने िवचार के कारण आलोचक का कोप भाजन बनना पड़ा। लैरे डेन जैसे िवचारक ने उसके िवचार का खंडन कया और हाइट हॉल ने लेिवयाथन को घातक िवचार से उसी कार पूण पाया जैसे एक सप िवष से पूण होता है। ोफ़ेसर वाहन ने लेिवयाथन को एक भावहीन और िन फल ंथ कहा है। हॉ स क आलोचना िन ां कत आधार पर क जाती है-  मानव वभाव के िवषय म उसके िवचार एकांगी और दोषपूण है। उसने मनु य को दुगुण का समु य माना है जब क मनु य म बुराइय के साथ-साथ ब त से मानवीय गुण भी है िजन क उपे ा उसके चंतन म दखाई देती है।  उसका ाकृितक अव था का िच ण भी अवा तिवक है। न तो ऐितहािसक दृि से और न ही ता कक दृि से ाकृितक अव था का समथन कया जा सकता है। मानव शा और इितहास दोन से इस बात क पुि होती है क ऐसा कोई युग नह रहा जब येक ि क दूसरे के साथ यु क ि थित बनी रही हो। य द ऐसा होता तो जैसा
  • 14. क लॉक कहा है,’’ मानव जाित ही न हो गई होती। ‘’ आ दम समाज क इकाई कुटुंब या कुल था जो रीित- रवाज से बंधा आ था, न क एकाक ि  हॉ स का समझौता िस ांत तक क कसौटी पर खरा नह उतरता। आलोचक क दृि म ाकृितक अव था म रहने वाले दानव समान ि य के िलए िवन नाग रक बनना असंभव है ,जैसा समझौता िस ांत म दखाया गया है। इस बात पर िव ास करना क ठन है एक दूसरे के र के यासे लोग अचानक शांित समझौते के िलए कैसे तैयार हो गए ।  शासक समझौते का अंग नह है और वह समझौते क शत से बा य नह है, ऐसी मा यता समझौते के सामा य िस ांत के िवपरीत है य क समझौता दो प कार के बीच होता है। िबना शत लोग के ारा अपनी सभी अिधकार का समपण िववेक संगत तीत नह होता। लॉक के श द म,’’ या ाकृितक अव था म रहने वाले लोग इतने मूख थे क वे लोमिणय और जंगली िबि लय क शरारती से तो बचने क फ करते थे, ले कन उस अव था म संतु थे और अपने आप को सुरि त अनुभव करते थे जब शेर उ ह िनगले जा रहा हो ।’’  उसक रा य संबंधी धारणा पुिलस रा य क धारणा है िजसम लोक क याणकारी रा य का कोई गुण नह है। गू च के श द म, लेिवयाथन......... दबाव का यं ।, वतं िवकास उ मुख स यता क ाि का अप रहाय साधन नह । ‘’  हॉ स ने रा य और सरकार म कोई अंतर नह कया है और इस कार रा य ही नह अिपतु सरकार के िव भी जा के िव ोह को अमा य ठहराया है।  उसका िनरंकुश सं भुता का िस ांत ि गत वतं ता और िव शांित क दृि से घातक है। वहार म रा य क स ा पर समाज क नैितकता, परंपरा और अंतरा ीय े म अ य रा य क भुता का िनयं ण होता है। वहार म कसी भी रा य के ारा िनरंकुश स ा का योग नह कया जाता। इस दृि से हॉ स का चंतन ावहा रक राजनीित के िस ांत से परे दखाई देता है। िनरंकुशता तो स ा का वभाव होता है, कंतु एक राजनीितक िस ांत कार का दािय व होता है ऐसे उपाय
  • 15. सुझाए िजससे स ा पर अंकुश लगाया जा सके, ले कन हॉ स ने एक िस ांत कार के प म अपने इस दािय व को भुला दया। हॉ स का योगदान- अपनी वैचा रक और असंगितय के बावजूद राजनीितक चंतन के इितहास म हॉ स ने िन ां कत योगदान दए-  तक आधा रत वै ािनक प ित का योग कर राजनीितक अ ययन को म ययुगीन धा मकता से पूरी तरह मु कया और वा तिवक अथ म आधुिनक राजनीित िव ान का जनक बना।  रा यस ा क उ पि के िवषय म चिलत धा मक िस ांत के थान पर एक तकपूण, वि थत िस ांत का ितपादन कया।  उसने जैसा क ोफे सर ड नंग ने कहा है, न केवल राजनीित को धमशा से पृथक कया बि क उसे धम और नीित शा से उ थान दान कया।  उसका दशन आधुिनक ि वाद और उपयोिगतावाद का माग श त करता है। वह नह भूलने देता क रा य का अि त व मानवीय जीवन क र ा और आव यकता क पू त के िलए है। हॉ स के राजनीितक दशन का भाव पीनोजा ,बथम ऑि टन और पे सर जैसे िवचारको पर पड़ा। बीसव शता दी क फासीवादी और नाजीवादी िवचारधाराएं भी उससे भािवत ई। इस संबंध म ोफेसर सेवाइन का कथन उ लेखनीय है,’’ अं ेजी भाषा भाषी जाितय ने िजतने भी राजनीितक दाशिनक को ज म दया है, उनम हॉ स कदािचत महानतम है। ‘’
  • 16. हॉ स के दशन म ि वाद य िप राजनीितक चंतन के इितहास म हॉ स को िनरंकुश सं भुता के िस ांत का जनक माना जाता है, कंतु उसके चंतन म यह िविच िवरोधाभास है क वह एक ि वादी िवचारक भी है । ोफेसर ड नंग , ोफे सर सेवाइन एवं कुछ आधुिनक ट पणीकार जैसे माइकल ऑकशॉट ,गािथयार एवं जॉन रो स उसे ि वादी ही नह बि क बीसव शता दी का उदारवादी तक मानते है। ड नंग ने िलखा है क ‘’ हॉ स के िस ांत म रा य क शि का उ कष होते ए भी उसका मूल आधार पूण प से ि वादी है। वह सब ि य क ाकृितक समानता पर उतना ही बल देता है िजतना क िम टन या अ य कसी ांितकारी िवचारक ने दया है।’’ ि वाद या उदारवाद या है- ि वाद 19व शता दी क एक राजनीितक िवचारधारा है जो जॉन टूअट िमल, एडम ि मथ, एवं हरबट पसर जैसे िवचारक के िवचार म ई। ि वाद का िवकिसत प उदारवाद है जो बीसव शता दी क देन है। समसामियक नव उदारवाद, उदारवाद का िवकिसत प है। मुख मा यताएं -  एक नैितक ाणी के प म ि उसका िववेक उसके अिधकार और उसका अि त व सबसे मुख है।  येक ि वयं म एक अनुपम ाणी है।  समाज रा य एवं अ य सं थाएं मनु य ारा िन मत और संचािलत है।  ि और उसके अिधकार सा य ह, रा य सिहत सभी सं थाएं ि आव यकता क पू त क साधन है।
  • 17.  ि वयं अपने भा य का िवधाता एवं िहत का िनणायक है। रा य समाज को उसके जीवन म कम से कम ह त ेप करना चािहए[laissez faire]  रा य को ि आ थक जीवन म िब कुल ह त ेप नह करना चािहए , बि क वतं ित पधा को ो सािहत करना चािहए। इस ित पधा म यो यतम लोग क िवजय ही समाज को समृि के रा ते पर ले जाएगी। हॉ स के चंतन म ि वाद के मुख बंदु - ि वाद या उदारवाद क उ मा यता के आधार पर जब हम आपके िवचार का िव ेषण करते ह तो उसके चंतन म ि वाद िन ां कत प म िनिहत दखाई देता है –  चंतन का ारंभ मानव वभाव क िववेचना से- ि वाद क मूल मा यता के अनु प हॉ स ने अपने चंतन का ारंभ मानव वभाव क िववेचना से कया है और मनु य को आ म क त, अहम वादी, शि ेमी एवं मनोवेग से संचािलत ाणी माना है। यह ि वाद का मनोवै ािनक आधार है। उसका यह िवचार क राजनीितक समाज का येक अ ययन मानव वभाव के चंतन से ारंभ होना चािहए, पूणतः ि वादी है।  ाकृितक अिधकार और कानून क धारणा ि वाद के अनु प- ाकृितक अव था का िच ण करते समय हॉ स ने मनु य के िजन ाकृितक अिधकार क चचा क है, वे उसे ि वाद के समीप ले जाती है। उसने माना क रा य के अभाव म भी लोग अिधकार का उपभोग करते थे। ाकृितक अव था म जीवन र ा का अिधकार सबसे मह वपूण था और लोग इस अिधकार क र ा के िलए कुछ भी करने को वतं थे । अथात लोग ितबंध रिहत वतं ता का उपभोग करते थे । इतना ही नह , हॉ स यह भी मानता है क लोग शि य क दृि से समान थे । । प है क हॉ स के चंतन म वतं ता और समानता जैसे अिधकार क धारणा दखाई देती है। ाकृितक अव था म िजन कानून क चचा उसने क है वे िववेक स मत है िज ह उसने शांित क धाराएं कहा है। उसका िवचार है क ाकृितक अव था म लोग िववेक के
  • 18. इस सामा य िनयम से शािसत थे क’’ तुम दूसर के साथ वैसा ही बताव करो जैसा तुम अपने साथ चाहते हो।’’ ि वादी िवचारधारा मानवीय िववेक को सवािधक मह व देती हैऔर ाकृितक कानून क धारणा म िववेक को मह व देने के कारण हॉ स ि वादी है।  रा य कृि म सं था है जो मानवीय आव यकता क पू त का साधन है- हॉ स एक समझौता वादी िवचारक है ि वाद क मा यता के अनु प रा य को एक साधन के प म तुत करता है। रा य का िनमाण वयं ि य के ारा अपने जीवन क र ा और शांित और व था थािपत करने के िलए कया गया। हॉ स के चंतन म रा य उपयोगी सं था है िजसके औिच य का एकमा आधार उसका उपयोगी बने रहना है। वह नाग रक के भि भाव का अिधकारी नह है। वेपर के श द म, “.... रा य ि य का ल य नह , बि क ि रा य का ल य ह”।  रा य क स ा के सृजन का आधार ि य क पार प रक सहमित- हॉ स के चंतन म ि वादी भावना इस प म भी मौजूद है क उसने रा य क स ा का आधार ाकृितक अव था के लोग क पार प रक सहमित माना है जो समझौते के मा यम से क गई। सं भु क स ा का ोत ि है। यह बात और है क एक बार स ा ा हो जाने के बाद सं भु िनरंकुश प म उ दत आ।वेपर ने िलखा है, “... रा य को नैितक स ा शािसत क सहमित से ा होती है”।  ि को रा य के िव िव ोह का अिधकार- आ म सुर ा का अिधकार हॉ स के चंतन का क ीय त व है, अतः वह ि को िनरंकुश सं भु के िव िव ोह करने का अिधकार भी देता है, य द सं भु ि के जीवन क र ा करने म असफल हो जाए। सामा यतः ि रा य क अव ा नह कर सकता, कंतु जैसा क हॉ स ने िलखा है क ‘’ य द सं भु ि को वयं क ह या करने , आ मणकारी को ज मी न करने या भोजन, वायु ,दवाइय के सेवन से मना करता है, िजन पर उसका जीवन िनभर करता है, तो ि ऐसे आदेश को मानने से मना कर सकता है। ‘’ आधुिनक
  • 19. उदारवादी रा य म भी मानवािधकार और मौिलक अिधकार क धारणा के अंतगत जीवन के अिधकार को अनु लंघनीय माना गया है।  पुिलस रा य क धारणा ि वाद के अनु प- ि वाद के मुख मा यता है रा य को अनाव यक ि के जीवन म ह त ेप नह करना चािहए। उसका काय तो पुिलस के समान शांित और सु व था क थापना करना और लोग के जीवन क र ा करना है। हॉ स का सं भु भी लोग को य िव य करने, अपने रहने के िलए थान, अपना भोजन तथा अपना ापार चुनने क एवं अपने ब को अपनी इ छा अनुसार िश ा दलाने क पूरी वतं ता देता है। हॉ स क धारणा थी क शासक को ि य के िनजी िव ास और िवचार म ह त ेप नह करना चािहए तथा कानून उस बाड़ के समान है जो याि य को रोकने के िलए नह ,बि क सही रा ते पर रखने के िलए खड़ी क जाती है। वेपर ने हॉ स को उ धृत करते ए िलखा है क ‘’ ि क बुि तथा अंतःकरण रा य क प ंच से बाहर है”।  ाकृितक अव था म ित पधा का िवचार नव उदारवाद के अनु प- ि वाद और उदारवाद का समसामियक प नव उदारवाद है, िजसम आ थक े म आ थक िवकास हेतु मु ित पधा को ो सािहत कया जाता है। हॉ स ने िजस ाकृितक अव था का वणन कया है. उसम ि य के म य संघष का एक कारण उनके म य चलने वाली ित पधा को माना है। िनि त प से यह ित पधा जीवन उपयोगी व तु को शि के मा यम से ा करने के िलए रही होगी। िव मान समाज म मौजूद ित पधा का ल य भी आ थक समृि को ा करना है, अतः कहा जा सकता है इस दृि से हॉ स का चंतन नव उदारवादी है । िन कष - िन कषतः यह कहा जा सकता है क सामा यतः हॉ स के चंतन म िनरंकुश रा य का समथन िमलता है , कंतु उसक िवचारधारा म ि वाद के त व भी मुखर प म मौजूद है। सेवाइन के श द म कहा जा सकता है क ‘’हॉ स के सं भु क सव शि उसके ि वाद क आव यक पूरक है। ‘’
  • 20. References- 1. Britanica.com 2. C. L. Wayper,Political Thought 3. Hobbes,Leviathan ,quoted by wayper 4. Prabhudutt Sharma , Rajnitik Vicharon Ka Itihas 5. Sabine ,A History Of Political Theory 6. William Archibald Dunning,A History Of Political Theories 7. Wikipedia.org,image मु य श द- गृह यु - कसी रा य के अंदर िविभन् वग के म य होने वाला संघष ाकृितक अव था - रा य और समाज के िनमाण के पूव क अव था उदारवाद - ि वाद का िवकिसत प जो ि के अिधकार को मह व देने के साथ-साथ रा य के अि त व एवं मह व को भी मा यता देता है एवं रा य क लोक क याणकारी भूिमका को वीकार करता है। ाकृितक अिधकार - वे प रि थितयां जो ि के जीवन के िलए वाभािवक और अप रहाय ह, ाकृितक अिधकार कहलाते ह। हॉ स ने ाकृितक अिधकार उन वतं ता को कहा है जो ाकृितक अव था म लोग ारा उपभोग क जाती थी। उपयोिगतावाद -19व शता दी क िवचारधारा जो भौितक सुख को सा य मानती है और रा य का उ े य अिधकतम ि य को अिधकतम सुख उपलि ध बताती है। पुिलस रा य - ऐसा रा य जो पुिलस के समान केवल शांित, सुर ा और सु व था थािपत करने का काय करता है।
  • 21. - िनबंधा मक- 1. हॉ स के समझौता िस ांत क आलोचना मक ा या क िजए। 2. हॉ स िनरंकुश सं भुता के िस ांत का जनक है, िववेचना क िजए। 3. हॉ स का राजनीितक दशन सं भुता का शि शाली कथन होने के साथ-साथ ि वाद का भी सश व है, िववेचना क िजए। 4. अं ेजी भाषा भाषी जाितय ने िजतने भी राजनीितक दाशिनक को ज म दया है, हॉ स उनम महानतम है, सेबाईन के इस कथन के आधार पर राजनीितक दशन म हॉ स योगदान पर काश डािलए। व तुिन ; 1. हॉ स के चंतन म राजनीित और धम के संबंध के िवषय म कौन सा कथन सही है- [अ ] उसने राजनीित को धम से अलग कया। [ब ] राजनीित को धम से उ थान दान कया। [स ] सं भु को धम के अधीन बताया। [द ] उपयु सभी। 2. हॉ स क िवचारधारा म ाकृितक अव था के िवषय म कौन सा कथन अस य है- [अ ] यह िनयम िवहीन अव था थी।[ ब] इसम ाकृितक कानून िव मान थे। [स] जीवन संघषमय था। [द ]जीवन णभंगुर था । 3. हॉ स ने कस शासन व था को सव म बताया है- [अ ] राजतं [ब ] कुलीन तं [स ] लोकतं [ द] अिधनायक तं
  • 22. 4. हॉ स के चंतन म लेिवयाथन कसका तीक है- [अ ] सवािधकार संप शासक का[ ब ] जनता का[ स ] मया दत सं भु का [द ] अिधकार संप जनता का 5. हॉ स क मानव वभाव संबंधी धारणा पर िव ान के कस िनयम का भाव है- [अ ] गित का िनयम [ब] सापे ता का िनयम [स] गु वाकषण का िनयम [द ] उपयु म से कोई नह । 6. इं लड के गृह यु म हॉ स कसका समथक था- [अ ] राजतं का [ब] संसद का [स ] कुलीन तं का [द ] जनता का 7. हॉ स के चंतन म रा य कैसी सं था है- [अ ] लोक क याणकारी [ब] उपयोगी[ स] िनरथक [द ] ाकृितक उ र-1. ब 2. अ 3. अ 4 .अ 5. अ 6. अ 7. ब