2. रिकार्डो के सिद्धान्त (INTRODUCTION TO
RICARDIAN THEORY):
रिकार्डो के लगान सिद्धान्त को ‘लगान का प्रततष्ठित सिद्धान्त’
भी कहा जाता है । रिकार्डो िे पूर्व प्रकृ ततर्ादी अर्वशाष्रियों
(Physiocrats) ने लगान िम्बन्धी अपने वर्चाि प्ररतुत ककये र्े ।
प्रकृ ततर्ाददयों के अनुिाि कृ वि ही एकमाि क्षेि है जहााँ अततिेक
(Surplus) उत्पन्न होता है । प्रकृ ततर्ाददयों ने कृ वि क्षेि की अततिेक
क्षमता का कािण प्राकृ ततक तत्र्ों का योगदान बताया र्ा ।
उनके अनुिाि मानर् पि प्रकृ तत का दयालु होना लगान का मुख्य
कािण है । र्डेवर्र्ड रिकार्डो पहले अर्वशारिी र्े ष्जनका यह वर्श्र्ाि
र्ा कक प्रकृ तत मानर् पि दयालु नहीीं बष्कक कृ पण होती है । उनके
अनुिाि लगान भी प्रकृ तत की उदािता के कािण नहीीं बष्कक
कृ पणताके कािण उत्पन्न होता है ।
19र्ीीं शताब्दी में रिकार्डो ने अपनी प्रसिद्ध पुरतक ‘Principles of
Political Economy and Taxation’ में लगान सिद्धान्त का
प्रततपादन ककया । रिकार्डो के अनुिाि, ”लगान भूसम की उपज का
र्ह भाग है जो मौसलक तर्ा अवर्नाशी शष्ततयों के उपयोग के
सलए भू-रर्ामी को ददया जाता है ।”
3. 2. रिकार्डो के सिद्धान्त की मान्यताएँ
(ASSUMPTIONS OF THE RICARDIAN THEORY):
(1) वर्सभन्न भू-खण्र्डों की उर्विता में अन्ति होता है ।
(2) भूसम की पूततव तनष्श्चत होती है तर्ा भूसम का कोई र्ैकष्कपक प्रयोग
(Alternative Use) नहीीं होता । रिकार्डो की मान्यतानुिाि भूसम का
प्रयोग के र्ल अनाज (Corn) का उत्पादन किने के सलए ही ककया जाता
है । दूििे शब्दों में, भूसम की हरतान्तिण आय (Transfer Earning)
शून्य होती है ।
(3) भूसम पि खेती उिकी उपजाऊ शष्तत (Fertility) के क्रम में की
जाती है अर्ावत िर्वप्रर्म िबिे पहले अधधकतम उर्विता र्ाली भूसम पि
खेती की जाती है तर्ा उिका िम्पूणव प्रयोग होने पि ही उििे कम
उर्विता र्ाली भूसम को खेती के प्रयोग में सलया जाता है ।
(4) भूसम की उर्विता शष्तत मौसलक तर्ा अवर्नाशी है जो कभी नठट
नहीीं होती ।
(5) जनिींख्या र्ृद्धध होने पि अनाज की मााँग बढ़ती है ।
(6) कृ वि में घटते प्रततफल का तनयम (Law of Diminishing Returns)
लागू होता है ।
(7) र्रतु बाजाि में पूणव प्रततयोधगता है ष्जिके कािण िम्पूणव बाजाि में
अनाज की कीमत एकिमान है ।
4. 3. रिकार्डो के सिद्धान्त की व्याख्या (EXPLANATION OF THE
RICARDIAN THEORY):
रिकार्डो के लगान सिद्धान्त की व्याख्या तीन शीर्षकों के अन्तगषत
की जा िकती है:
(i) वर्रतृत खेती में लगान (Rent under Extensive Cultivation),
(ii) गहिी खेती में लगान (Rent under Intensive Cultivation),
(iii) ष्रर्तत लगान (Situation Rent) |
5. I. विस्तृत खेती में लगान (RENT UNDER EXTENSIVE CULTIVATION):
रिकार्डो के अनुिाि वर्रतृत खेती में भेदात्मक लगान उत्पन्न होता
है । भेदात्मक लगान की इि धािणा में रिकार्डो इि पूर्व मान्यता
को लेकि चलते हैं कक एक द्र्ीप में अनेक ऐिे भू-खण्र्ड है
ष्जनकी उर्विता (Fertility), गुण (Quality), ष्रर्तत (Location)
आदद में एक िमानता न होकि सभन्नता होती है ।
दूििे शब्दों में, एक द्र्ीप में वर्सभन्न श्रेणणयों र्ाले भू-खण्र्ड हैं ।
िर्ोत्तम श्रेणी की भूसम की उर्विता िर्ावधधक होती है जहााँ श्रम एर्ीं
पूाँजी की एक तनष्श्चत मािा िे अधधकतम उत्पादन ककया जा
िकता है । इि प्रकाि उर्विता के आधाि पि भू-खण्र्डों का िर्ोत्तम
श्रेणी िे लेकि तनम्नतम श्रेणी तक वर्भाजन ककया जाता है ।
रिकार्डो ने तनम्नतम उर्विता र्ाली भूसम को िीमान्त भूसम
(Marginal Land) के रूप में परिभावित ककया । इि तनम्नतम
उर्विता र्ाली भूसम िे श्रेठि भूसमयों को रिकार्डो ने अधध-िीमान्त
भूसम (Intra-Marginal Land) का नाम ददया । िीमान्त भूसम पि
कोई अततिेक (Surplus) उत्पन्न नहीीं होता तयोंकक इि भूसम पि
प्राप्त आगम खेती की लागत के बिाबि होता है ।
6. रिकार्डो के अनुिाि,
भेदात्मक लगान = अधध-िीमान्त भूसम की उत्पादकता – िीमान्त भूसम की
उत्पादकता
वर्रतृत खेती में भेदात्मक लगान की व्याख्या के सलए हम मानकि चलते हैं कक द्र्ीप
में तीन श्रेणी की भूसम – श्रेणी A िर्ोत्तम, श्रेणी B मध्यम तर्ा श्रेणी C तनम्नतम
उत्पादकता र्ाली भूसमयााँ उपलब्ध हैं । जब द्र्ीप पि कु छ लोग आकि बिते हैं तब
मानर् अपनी उपभोग प्रकृ तत के अनुिाि िबिे पहले िर्ोत्तम उत्पादकता र्ाली A श्रेणी
की भूसम पि खेती आिम्भ किता है ।
अब यदद जनिींख्या के आकाि में तनिन्ति र्ृद्धध होने पि अनाज की मााँग में भी र्ृद्धध
होगी । अनाज उत्पादन के सलए B श्रेणी की भूसम का प्रयोग तब तक नहीीं होगा जब
तक A श्रेणी की िमरत भूसम अनाज उत्पादन में प्रयोग न कि ली जाये ।
जब तक B श्रेणी की भूसम प्रयोग नहीीं की जाती तब तक कोई लगान उपष्रर्त नहीीं
होगा ककन्तु B श्रेणी की भूसम के प्रयोग में आने पि A श्रेणी की भूसम अधध-िीमान्त
भूसम बनकि िीमान्त भूसम B की तुलना में कु छ अततिेक उत्पन्न किेगी । रिकार्डो के
अनुिाि िीमान्त भूसम की तुलना में अधध-िीमान्त भूसम का यही अततिेक लगान
(Rent) है ।
7. रिकार्डो के उपययषक्त विचाि को एक काल्पननक उदाहिण
द्िािा िमझा जा िकता है:
तासलका 1 िे रपठट है कक यदद द्र्ीप पि अनाज की मााँग 100 कु न्तल िे
अधधक होती है तब वर्रतृत खेती में B श्रेणी की भूसम प्रयोग की जायेगी ।
इिी प्रकाि 180 कु न्तल िे अधधक अनाज की मााँग होने पि श्रेणी C की
भूसम प्रयोग की जायेगी ।
धचि 1 में A, B श्रेणी की भूसमयााँ अधध-िीमान्त भूसमयााँ बनकि लगान
उत्पन्न कि िही हैं ष्जिे छायादाि क्षेिफल िे ददखाया गया है ।
8. जैिे-जैिे तनम्न उत्पादकता रति र्ाली भूसमयों पि खेती आिम्भ होती है र्ैिे-र्ैिे ऊाँ ची उत्पादकता र्ाली
भूसमयों पि अततिेक (SURPLUS) उत्पन्न होता जाता है ष्जिे रिकार्डो ने लगान कहा । भेदात्मक प्रदसशवत
किने र्ाली तासलका 1 को धचि 1 में प्रदसशवत ककया गया है ।
9. II. गहिी खेती में लगान (RENT UNDER INTENSIVE CULTIVATION):
रिकार्डो के वर्चाि में लगान के र्ल वर्रतृत खेती में ही उत्पन्न नहीीं होता बष्कक गहिी खेती में भी
उत्पन्न होता है । भूसम की पूततव िीसमत होने के कािण जब जनिींख्या बढ़ने पि एक ऐिी ष्रर्तत
उत्पन्न हो जाती है जबकक तनम्न कोदट की भूसम का भी अभार् उपष्रर्त हो जाता है औि अनाज
की बड़ी मााँग को वर्रतृत खेती द्र्ािा पूिा नहीीं ककया जा िकता ।
ऐिी दशा में जब भूसम के तनष्श्चत औि िीसमत क्षेिफल पि श्रम तर्ा पूाँजी की अततरितत इकाइयों
का प्रयोग किके उत्पादन र्ृद्धध का प्रयाि ककया जाता है तब इिे गहन खेती (Intensive
Cultivation) कहते हैं ।
रिकार्डो का वर्चाि र्ा कक जैिे-जैिे भूसम के तनष्श्चत क्षेिफल पि श्रम तर्ा पूाँजी की अततरितत
इकाइयों का प्रयोग बढ़ाया जाता है, ह्रािमान प्रततफल का तनयम (Law of Diminishing Returns)
लागू हो जाता है ।
इि तनयम के लागू होने की दशा में एक भू-रर्ामी अपनी भूसम के तनष्श्चत क्षेिफल पि श्रम एर्ीं
पूाँजी की अततरितत इकाइयााँ तब तक लगाता जायेगा जब तक िीमान्त उत्पादन का मूकय औि
उत्पादन की लागत िमान न हो जाए ।
श्रम औि पूाँजी की इि मािा को िीमान्त मािा (Marginal Dose) कहा जाता है । इिी िीमान्त
मािा के द्र्ािा अधध-िीमान्त मािाओीं (Intra-Marginal Dose) का लगान एर्ीं र्रतु (अर्ावत अनाज)
का मूकय तनधावरित होता है ।
इि प्रकाि गहिी खेती में ‘िीमान्त भूसम’ के रर्ान पि ‘िीमान्त मािा’ का प्रयोग ककया जाता है ।
िीमान्त मािा पि कोई लगान उत्पन्न नहीीं होगा तयोंकक िीमान्त मािा की लागत उिके
उत्पादकता मूकय के बिाबि होती है ककन्तु अधध-िीमान्त मािाओीं (अर्ावत िीमान्त मािा िे पूर्व की
श्रम र् पूाँजी इकाइयााँ) पि लगान उत्पन्न होता है तयोंकक ये अधध-िीमान्त मािाएाँ अपनी लागत िे
अधधक उत्पादकता उत्पन्न किती हैं ।
िीमान्त मािा िे ऊपि अधध-िीमान्त मािाओीं को जो भी अततिेक प्राप्त होता है उिे लगान कहा
जाता है ।
10. उदाहिण ि िेखाधचत्र द्िािा स्पष्टीकिण:
तासलका 2 िे रपठट है कक श्रम तर्ा पूाँजी की तृतीय मािा िीमान्त मािा है
ष्जि पि कोई अततिेक अर्र्ा लगान उत्पन्न नहीीं होता ।
तासलका 2 को धचि 2 के रूप में व्यतत किके भी िमझा जा िकता है । श्रम
औि पूाँजी की पहली औि दूििी मािाएाँ अधध-िीमान्त मािाएाँ बनकि िीमान्त
मािा (अर्ावत तृतीय मािा) की तुलना में अततिेक उत्पन्न कि िही हैं जो लगान
को िूधचत किता है ।
11. तासलका 2 िे रपठट है कक श्रम तर्ा पूाँजी की
तृतीय मािा िीमान्त मािा है ष्जि पि कोई
अततिेक अर्र्ा लगान उत्पन्न नहीीं होता ।
तासलका 2 को धचि 2 के रूप में व्यतत किके भी
िमझा जा िकता है । श्रम औि पूाँजी की पहली
औि दूििी मािाएाँ अधध-िीमान्त मािाएाँ बनकि
िीमान्त मािा (अर्ावत तृतीय मािा) की तुलना में
अततिेक उत्पन्न कि िही हैं जो लगान को िूधचत
किता है ।
12. उपयुवतत वर्श्लेिण िे रपठट है कक गहिी खेती का लगान िीसमतता के
लगान (Scarcity Rent) का द्योतक है तयोंकक लगान भूसम की
िीसमतता के कािण उत्पन्न हो िहा है ।
13. iii. स्स्िनत लगान (Situation Rent):
रिकार्डो के वर्चाि में यदद भूसम के वर्सभन्न टुकड़ों की उर्विता एकिमान भी है तब भी
उनकी ष्रर्तत में अन्ति होने के कािण लगान उत्पन्न हो िकता है । यदद कोई भूसम
का टुकड़ा अच्छे रर्ान पि बाजाि के तनकट तर्ा यातायात िुवर्धाओीं िे िम्पन्न है तब
ऐिी दशा में भी लगान उपष्रर्त होगा ।
उदाहिण के सलए, तीन भू-खण्र्ड A, B तर्ा C में िे A िर्वश्रेठि ष्रर्तत में, B मध्यम
ष्रर्तत में तर्ा C तनम्नतम ष्रर्तत में है । यातायात लागत इन भू-खण्र्डों पि क्रमशः
Rs. 10, Rs. 30 तर्ा Rs. 50 है ।
ऐिी दशा में जब तीनों भू-खण्र्डों का उत्पाददत अनाज बाजाि आकि एक ही कीमत पि
बबकता है तब भू-खण्र्ड C की तुलना में भू-खण्र्ड A तर्ा B को क्रमशः Rs. 40 तर्ा Rs.
20 अततिेक अर्र्ा बचत प्राप्त होती है जबकक भू-खण्र्ड C पि कोई बचत प्राप्त नहीीं
होती ।
भूसम C अपनी तनम्नतम ष्रर्तत के कािण िीमान्त भूसम बन जाती है तर्ा भूसम A तर्ा
भूसम B अपनी बेहति ष्रर्तत के कािण अधध-िीमान्त भूसम बनकि लगान उत्पन्न किती
हैं
14. 4. रिकार्डो के सिद्धान्त की आलोचना (CRITICISMS OF RICARDIAN
THEORY):
अनेक अिषशास्स्त्रयों ने ननम्नसलखखत बिन्दयओं पि रिकार्डो के सिद्धान्त की आलोचना की है:
1. मौसलक तिा अविनाशी शस्क्तयों का न होना (No Original and Indestructible
Powers of Soil):
रटोतनयि एर्ीं हेग अर्वशाष्रियों ने रिकार्डो की इि मान्यता को गलत बताया है कक भूसम की
उर्विा शष्तत मौसलक औि अवर्नाशी होती है । आधुतनक र्ैज्ञातनक युग में इि प्रकाि की
मान्यता का कोई अर्व नहीीं है तयोंकक कृ वि में वर्ज्ञान एर्ीं तकनीकी का प्रयोग किके उर्विता
को बढ़ाया जा िकता है । िार् ही आधुतनक युग में कोई र्रतु अवर्नाशी नहीीं है; भू-रखलन
(Landscape) इिका उदाहिण है ।
2. भूसम जोतने का गलत क्रम (Wrong Order Cultivation of Land):
रिकार्डो की मान्यतानुिाि िबिे अधधक उर्विता र्ाली भूसम िे आिम्भ किके क्रमशः अन्त में
िबिे तनम्न कोदट की भूसम को जोता जाता है । आधर्वक इततहाि में इि िन्दभव का कोई
प्रमाण नहीीं समलता । वर्सभन्न भू-खण्र्डों पि खेती किने के बाद ही यह पता लगता है कक
उनमें उर्विता की दृष्ठट िे िर्वश्रेठि कौन है ? खेती के पहले यह कहना गलत है कक अमुक
भू-खण्र्ड िर्ोत्तम उर्विता र्ाला भू-खण्र्ड है ।
3. लगान का िम्िन्ध के िल भूसम िे नहीं (Rent has no Relation only with the Land):
रिकार्डो के वर्चाि में लगान का िम्बन्ध के र्ल भूसम िे है अन्य िाधनों िे नहीीं । आधुतनक
अर्वशाष्रियों के अनुिाि लगान उत्पन्न होने का कािण िाधन की दुलवभता है तर्ा यह
िीसमतता का तत्र् उत्पादन के प्रत्येक िाधन के िार् हो िकता है । अतः िभी िाधनों पि
लगान उत्पन्न हो िकता है ।
15. 4. िीमान्त अििा लगान-िहहत भूसम (Marginal Land or No-Rent Land):
रिकार्डो की यह मान्यता है कक प्रत्येक देश में एक भू-खण्र्ड ऐिा अर्श्य पाया जाता है ष्जि पि
कोई लगान प्राप्त नहीीं होता । ऐिी भूसम को रिकार्डो ने िीमान्त भूसम का नाम ददया ।
र्ारतवर्कता में िीमान्त भूसम अर्र्ा लगान िदहत भूसम नहीीं पायी जाती ।
5. कीमत एिं लगान (Price and Rent):
रिकार्डो के अनुिाि कीमत लगान को तनधावरित किती है न कक लगान कीमत को । आधुतनक
अर्वशाष्रियों के अनुिाि लगान कािण है तर्ा कीमत परिणाम (Rent is the Cause and Price
is the Result) । लगान उत्पवत्त िाधनों में भूसम की िेर्ाओीं के बदले पुिरकाि है औि यह
उत्पादन लागत को तनधावरित किता है । दूििे शब्दों में, आधुतनक अर्वशाष्रियों के वर्चाि में
लगान कीमत में िष्म्मसलत होता है ।
6. अिास्तविक मान्यताएँ (Unrealistic Assumptions):
रिकार्डो का सिद्धान्त अनेक अर्ारतवर्क मान्यताओीं पि आधारित है । पूणव प्रततयोधगता, कृ वि
में घटते प्रततफल तनयम का कक्रयान्र्यन, माकर्ि के जनिींख्या िम्बन्धी सिद्धान्त आदद
मान्यताएाँ र्ारतवर्क जीर्न में नहीीं पायी जातीीं । रिकार्डो का सिद्धान्त दीघवकालीन है जबकक
दीघवकाल व्यर्हाि में कभी नहीीं आता ।
इिमें कोई िन्देह नहीीं कक रिकार्डो के सिद्धान्त की अनेक िीमाएाँ हैं ष्जन्हें वर्सभन्न
अर्वशाष्रियों द्र्ािा प्रकाश में लाया जाता है । पिन्तु इनके िहते हुए भी रिकार्डो ने कई
महत्र्पूणव तथ्यों को िामने िखा है जैिे लगान एक अनाष्जवत आय (Unearned Income) है ।
आधुतनक अर्वशाष्रियों ने भी लगान सिद्धान्त रिकार्डो के लगान सिद्धान्त को ही आधाि
मानकि ददया है । वर्भेदात्मक लगान के रर्ान पि आधुतनक अर्वशाष्रियों ने हरतान्तिण आय
का वर्चाि देकि रिकार्डो के सिद्धान्त का वर्रताि एर्ीं िुधाि ककया है ।
प्रो. िॉबटविन का यह कर्न िीक ही है, ”रिकार्डो के लगान सिद्धान्त ने अपनी मान्यता एर्ीं
ित्यता ककिी भी मापदण्र्ड पि नहीीं खोयी है ।”