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अध्याय -9
शाांति
शाांति अर्ााि ऐसी स्थर्ति जहाां किसी भी प्रिार िा िनाव ना हो । हाब्स, लाि व रूसी सामास्जि
समझौिे िे अनुसार शाांति िायम रखना राज्य िा उत्तरदातयत्व हैं । ईसा मसीह, सुिराि, गौिम
बुद्ध िर्ा अनेि राजनीतिज्ञयों ने शाांति िो महत्व ददया हैं । गाांधी जी ने भी अदहांसा िो अपनाया
र्ा । इनिे ववपरीि दाशातनि फ़्रे डररि नीत्शे सांघर्ा िो ही सभ्यिा िी उन्नति िा मागा मानिे
र्े । ससद्धाांि िार ववल्फ़्फ़्रे ड़ा पैरेटों (1848 – 1923) ने िािि िा इथिेमाल िरने वालों िी िुलना
शेर से िी हैं । उन्नि ििनीि जहाां एि ओर शाांति व वविास में सहायि हैं । वहीां दूसरी ओर
वपछले ववश्व युद्धों में ििनीि िा इथिेमाल ही ववध्वांस िा िारण बना र्ा । जापान िे शहर
दहरोसशमा व नागासािी ऐसे उदाहरण हैं स्जन्हें ववश्व भूल नहीां सििा । शाांति िा गुणगान राष्ट्र
अच्छा लगने िे सलए नहीां अवपिु इससलए िरिे हैं क्योंकि उसिी भारी िीमि चुिाई जा चुिी
हैं ।
शाांति िा अर्ा
सामान्यिः शाांति िा अर्ा युद्ध न होना िहलािा हैं । दो देशों िे बीच हथर्यारों िे सार् आमना
– सामना होना युद्ध िहलािा हैं । जबकि रवाांडा या बोस्थनया में ऐसी स्थर्ति नहीां र्ी लेकिन
शाांति िा अभाव र्ा । शाांति िो हम दहांसि सांघर्ों िे अभाव िे रूप में देख सििे हैं ।
(सांघर्ा न होना ) जाति, वगा, सलांग, उपतनवेश वादी, साांप्रदातयि किसी भी प्रिार िा सांघर्ा न
होना ।
सांरचनात्मि दहांसा िे ववसभन्न रूप
1. जातिगि व्यवथर्ा पर आधाररि िु छ खास समूह व जातियों िो अथपृश्य मान िर
व्यवहार िरना । स्जसे िानून बना िर सांववधान िे आधार पर समाप्ि िरने िा प्रयास
किया गया ।
2. वपिृ सत्ता िे आधार पर आधाररि ऐसे समाजों में स्थियों िो अधीन बना दहेज आदद
िे रूप में इसिे पररणोि देखी जा सििी हैं ।
3. उपतनवेश वाद यूां िो समाप्ि हो गया परन्िु अस्थित्व आज भी िायम हैं । इजरायली
प्रभुत्व िे खखलाफ कफसलथिीनी सांघर्ा, यूरोपीय देशों िे पूवाविी उपतनवेशों िा शोर्ण
आदद इसिे उदाहरण हैं ।
4. रांगभेद, साांप्रदातयििा व नथल आधाररि समूह आज भी देखे जा सििे हैं । दहांसा व
भेदभाव िा प्रभाव व्यस्क्ि िी मनोवैज्ञातनि व शारीररि दोनों स्थर्तियों पर पड़िा हैं ।
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दहांसा िी समास्प्ि
सांयुक्ि राष्ट्र शैक्षिि, वैज्ञातनि एवां साांथिृ तिि सांगठन (यूतनसेफ) िे अनुसार चूांकि युद्ध िा
आरांभ लोगों िे ददमाग से होिा हों इससलए शाांति िे उपाय भी लोगों िे ददमाग में रचे जाने
चादहये ।
क्या दहांसा िभी शाांति िो प्रोत्सादहि िर सििी हैं ?
यूां िो दहांसा अपने पीछे मौि और ब्रबाादी िी शृांखला छोड़ जािी हैं परांिु कफर भी योजना बद्ध
िरीिे में सहायि होिी हैं । इसिे सलए गाांधी, मादटान लूर्र किां ग, नेल्फ़्सन मांडेला आदद िे उदाहरण
सलए जा सििे ।
शाांति और राज्य सत्ता
हर राज्य अपने िो पूणािः एवां सवोच्च ईिाई िे रूप में देखिा हैं । शाांति िे सलए थवयां िो वृहि्
िर मानविा िे रूप में देखना होगा । नागररिों पर बल प्रयोग िो रोिना होगा लोि िांिीय
शासन प्रणाली िे द्वारा ही यह सांभव हैं ।
शाांति िायम िरने िे ववसभन्न िरीिे
समिालीन चुनौतियााँ
1. दबांग राष्ट्रों िा प्रभावपूणा प्रदशान जैसे इराि में अमेररिा िा दखल ।
2. आिांिवाद िा थवार्ा पूणा आचरण – इन िाििों द्वारा जैववि रासायतनि हथर्यारों िे
इथिेमाल िी आशांिा ।
राष्ट्रों िो िें द्रीय थर्ान देना, इनिी सांप्रभुिा िा
आदर िरना ।
राष्ट्रों िी आपसी प्रतिद्वांद्िा िो िम िर, आथर्ाि
एिीिरण से राजनीतिि एिीिरण िी ओर बढ्ना ।
ववश्व वैश्वीिरण िी प्रकिया ।
तन : शथिीिरण िो अपनािर ।
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3. अांिरााष्ट्रीय हथििेप न होना – गोररल्फ़्ला युद्ध 1994 में िुत्सी लोगों िा मारा जाना ।
रवाांडा िे खूनखराबे पर िोई िदम न उठाना ।
इन सबिे बावजूद भी िु छ ऐसे िेि हैं जहाां आणववि हथर्यारों पर पाबांदी हैं ।
समिालीन ववश्व में शाांति िो प्रार्समििा दी जा रहीां हैं । शाांति अध्ययन नामि ज्ञान िी
एि नई शाखा िा भी सृजन हुआ हैं । यू एन िी थर्ापना 24 अक्िूबर 1945 िो ववश्व में
शाांति थर्ावपि िरने िे उद्देश्य से िी गई ।
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