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अध्याय – 4 सत्ता के वैकल्पिक कें द्र
by
Dr Sushma Singh
(Core Academic Unit DOE GNCT of Delhi)
िाठ के अंत में हम जान िाएंगे:
शीतयुद्ध युद्धोत्तर विश्ि में विश्ि पटल पर कु छ ऐसे संगठन तथा देशों ने प्रभािशाली रूप से
अंतरााष्ट्रीय राजनीतत में महत्िपूर्ा भूममका का तनिाहन करना प्रारम्भ ककया जजससे यह स्पष्ट्ट होने
लगा कक यह संगठन तथा देश अमेररका की एक ध्रुिीयता के समक्ष विकल्प के रूप में देखे जा
सकते हैं ।
अमरीका ने यूरोप की अथाव्यिस्था के पुनगाठन के मलए बहुत मदद की थी । इसे माशाल योजना
के नाम से जानते हैं ।
1.
यूरोिीय संघ के गठन के उद्देश्य:
2.
यूरोिीय संघ की ववशेषताएँ
3.
यूरोिीय संघ को ताकतवर बनाने
वाले कारक या ववशेषताएँ
4.
यूरोिीय संघ की कमजोररयाँ
5.
दक्षिण िूवी एशशयाई राष्ट्रों का संगठन
(आशसयान)
6.
आशसयान के मुख्य उद्देश्य
7.
आशसयान शैली
8.
आशसयान िेत्रीय मंच
9.
आशसयान की उियोगगता या
प्रासंगगकता
10.
माओ के नेतृत्व में चीन का
ववकास
11.
चीन में सुधारों की िहल
12.
चीनी सुधारों का नकारात्मक िहलू
13.
चीन के साथ भारत के संबंध
सत्ता के िैकजल्पक कें द्र
यूरोपीय संघ आमसयान चीन
2
1948 में माशाल योजना के तहत यूरोपीय आर्थाक सहयोग संगठन की स्थापना की गई । जजसके
माध्यम से पजश्चमी यूरोप के देशों को आर्थाक मदद की गई ।
1957 में छ: देशों – फ्ांस, पजश्चम जमानी, इटली, बेजल्जयम, नीदरलैंड और लक्जमबगा ने रोम
संर्ध के माध्यम से यूरोपीय आर्थाक समुदाय EEC और यूरोपीय एटमी ऊजाा समुदाय का गठन
ककया।
जून 1979 में यूरोपीय पामलायामेंट के गठन के बाद यूरोपीय आर्थाक समुदाय ने राजनीततक स्िरूप
लेना शुरू कर ददया था ।
फरिरी 1992 में मास्रीस्ट संर्ध के द्िारा यूरोपीय संघ का गठन हुआ ।
1. यूरोिीय संघ के गठन के उद्देश्य:
I. एक समान विदेश ि सुरक्षा नीतत ।
II. आंतररक मामलों तथा न्याय से जुड़े मामलों पर सहयोग ।
III. एक समान मुद्रा का चलन ।
IV. िीजा मुक्त आिागमन ।
2. यूरोिीय संघ की ववशेषताएँ
I. यूरोपीय संघ ने आर्थाक सहयोग िाली संस्था से बदल कर राजनीततक संस्था का रूप
ले मलया हैं ।
II. यूरोपीय संघ एक विशाल राष्ट्र -राज्य की तरफ काया करने लगा हैं ।
III. इसका अपना झण्डा, गान, स्थापना ददिस और अपनी एक मुद्रा हैं ।
IV. अन्य देशों से संबंधों के मामले में इसने काफी हद तक साझी विदेश और सुरक्षा नीतत
बना ली हैं ।
V. यूरोपीय संघ का झंडा 12 सोने के मसतारों के घेरे के रूप में िहााँ के लोगों की पूर्ाता,
संमग्रता, एकता और मेल - ममलाप का प्रतीक हैं ।
3. यूरोिीय संघ को ताकतवर बनाने वाले कारक या ववशेषताएँ
I. 2005 में यह दुतनया की सबसे बड़ी अथाव्यिस्था थी और इसका सकल घरेलू उत्पाद
अमरीका से भी ज्यादा था ।
II. इसकी मुद्रा यूरो, अमरीकी डालर के प्रभुत्ि के मलए खतरा बन गई हैं ।
III. विश्ि व्यापार में इसकी दहस्सेदारी अमेररका से तीन गुना ज्यादा हैं ।
IV. यह विश्ि व्यापार संगठन के अंदर एक महत्िपूर्ा समूह के रूप में काया करता हैं ।
3
V. इसकी आर्थाक शजक्त का प्रभाि यूरोप,एमशया और अफ्ीका के देशों पर हैं ।
VI. इसका एक सदस्य देश फ्ांस सुरक्षा पररषद का स्थायी सदस्य हैं । इसके चलते यूरोपीय
संघ अमरीका समेत सभी राष्ट्रों की नीततयों को प्रभावित करता हैं ।
VII. यूरोपीय संघ का सदस्य देश फ्ांस परमार्ु शजक्त सम्पन्न हैं ।
VIII. अर्ध राष्ट्रीय संगठन के तौर यूरोपीय संघ आर्थाक, राज नैततक और सामाजजक मामलों
में दखल देने में सक्षम हैं ।
4. यूरोिीय संघ की कमजोररयाँ
I. इसके सदस्य देशों की अपनी विदेश और रक्षा नीतत हैं जो कई बार एक – दूसरे के
खखलाफ भी होती हैं । जैसे इराक पर हमले के मामले में ।
II. यूरोप के कु छ दहस्सों में यूरो मुद्रा को लागू करने को लेकर नाराजगी हैं ।
III. डेनमाका और स्िीडन ने माजस्िस्स संर्ध और साझी यूरोपीय मुद्रा यूरो को मानने का
विरोध ककया ।
IV. यूरोपीय संघ के कई सदस्य देश अमरीकी गठबंधन में थे ।
V. ब्रिटेन यूरोपीय संघ से जून 2016 में एक जनमत संग्रह के द्िारा अलग हो गया
हैं ।
5. दक्षिण िूवी एशशयाई राष्ट्रों का संगठन (आशसयान)
अगस्त 1967 में इस क्षेि के पााँच देशों इन्डोनेमशया, मलेमशया कफमलपींस, मसंगापुर और थाईलैंड
बैकांक घोषर्ा पि पर हस्ताक्षर करके ‘आमसयान’ की स्थापना की ।
बाद में िुनई, दारूस्लाम, वियतनाम, लाओस ,मयम्मार, और कम्बोडडया को शाममल ककया गया
और इनकी संख्या 10 हो गई ।
6. आशसयान के मुख्य उद्देश्य
सदस्य देशों के आर्थाक विकास को तेज करना ।
इसके द्िारा सामाजजक और सांस्कृ ततक विकास हामसल करना ।
कानून के शासन और संयुक्त राष्ट्र संघ के तनयमों का पालन करके क्षेिीय शांतत और स्थातयत्ि
को बढ़ािा देना ।
4
7. आशसयान शैली
अनौपचाररक, टकराि रदहत और सहयोगात्मक मेल – ममलाप का नया उदाहरर् पेश करके
आमसयान ने काफी यश कमाया हैं। इसे ही ‘आमसयान ‘ शैली कहा जाने लगा ।
1. आमसयान सुरक्षा समुदाय क्षेिीय वििादों को टकराि तक न ले जाने की सहमतत पर
आधाररत हैं ।
2. आमसयान आर्थाक समुदाय का उद्देश्य आमसयान देशों का सांझा बाजार और उत्पादन
आधार तैयार करना तथा इस क्षेि के सामाजजक और आर्थाक विकास में मदद करना हैं ।
3. आमसयान सामाजजक सांस्कृ ततक समुदाय का उद्देश्य हैं कक आमसयान देशों के बीच टकराि
की जगह बातचीत और सहयोग को बढ़ािा ददया जाए ।
8. आशसयान िेत्रीय मंच
1994 में आमसयान क्षेिीय मंच की स्थापना की गई । जजसका उद्देश्य देशों की सुरक्षा और
विदेश नीततयों में तालमेल बनाना हैं ।
9. आशसयान की उियोगगता या प्रासंगगकता
I. आमसयान की मौजूद आर्थाक शजक्त खासतौर से भारत और चीन जैसे तेजी
से विकमसत होने िाले एमशयाई देशों के साथ व्यापार और तनिेश के मामले
में प्रदमशात होती हैं ।
II. आमसयान ने तनिेश, श्रम और सेिाओं के मामले में मुक्त व्यापार क्षेि बनाने
पर भी ध्यान ददया हैं ।
आमसयान के प्रमुख
स्तम्भ
1. आमसयान सुरक्षा
समुदाय
2. आमसयान आर्थाक
समुदाय
3. सामाजजक
सांस्कृ ततक समुदाय
5
III. अमरीका तथा चीन ने भी मुक्त व्यापार क्षेि बनाने में रुची ददखाई हैं ।
IV. 1991 के बाद भारत ने पूरब की ओर देखो की नीतत अपनाई हैं ।
V. भारत ने आमसयान के दो सदस्य देशों मसंगापुर और थाईलैंड के साथ मुक्त
व्यापार का समझौता ककया हैं ।
VI. भारत आमसयान के साथ भी मुक्त व्यापार संर्ध करने का प्रयास कर रहा
हैं ।
VII. आमसयान की असली ताकत अपने सदस्य देशों, सहभागी सदस्यों और बाकी
गैर -क्षेिीय संगठनों के बीच तनरंतर संिाद और परामशा करने की नीतत में
हैं ।
VIII. यह एमशया का एक माि ऐसा संगठन हैं जो एमशयाई देशों और विश्ि शजक्तयों
को राजनीततक और सुरक्षा मामलों पर चचाा के मलए मंच उपलब्ध करता
हैं ।
IX. हाल ही में भारतीय प्रधान मंिी ने आमसयान देशों की यािा की तथा विमभन्न
क्षेिों में सहयोग बढ़ाने पर समझौते ककए तथा पूिा की ओर देखो नीतत के
स्थान पर पूिोत्तर काया नीतत (एक्ट ईस्ट पामलसी) की संकल्पना प्रस्तुत की
। इसी के अन्तगात िषा 2018 के गर्तंि ददिस समारोह में आमसयान देशों
के राष्ट्राध्यक्षों को अततर्थ के रूप में आमजन्ित ककया गया था ।
10.माओ के नेतृत्व में चीन का ववकास
1949 की क्ांतत के द्िारा चीन में साम्य िादी शासन की स्थापना हुई । शुरू में यहााँ साम्य िादी
अथाव्यिस्था को अपनाया गया था । लेककन इसके कारर् चीन को तनम्नमलखखत समस्याओं का
सामना करना पड़ा ।
I. चीन ने समाज िादी मााँडल खड़ा करने में विशाल औद्योर्गक अथाव्यिस्था का
लक्ष्य रखा । इस उद्देश्य को प्राप्त करने के मलए अपने सारे संसाधनों को उद्योग
में लगा ददया ।
II. चीन अपने नागररकों को रोजगार, स्िास््य सुविधा और सामाजजक कल्यार् योजनाओं
का लाभ देने के मामले विकमसत देशों से भी आगे तनकाल गया लेककन बढ़ती
जनसंख्या विकास में बढ़ा उत्पन्न कर रही थी ।
III. कृ वष परम्परागत तरीकों पर आधाररत होने के कारर् िहााँ के उद्योगों की जरूरत को
पूरा नहीं कर पा रही थी ।
6
11.चीन में सुधारों की िहल
I. चीन ने 1972 में अमरीका से संबंध बनाकर अपने राजनीततक और आर्थाक
एकांतिास को खत्म ककया ।
II. 1973 में प्रधानमंिी चाऊ एन लाई ने कृ वष, उद्योग, सेिा और विज्ञान – प्रौद्योर्गकी
के क्षेि में आधुतनकरर् के चार प्रस्ताि रखे ।
III. 1978 में तत्कालीन नेता देंग श्याओपेंग ने चीन में आर्थाक सुधारों और खुले द्िार
की नीतत की घोषर्ा की ।
IV. 1982 में खेती का तनजी करर् ककया गया ।
V. 1998 में उद्योगों का तनजी करर् ककया गया । इसके साथ ही चीन में विशेष
आर्थाक क्षेि (स्पेशल इकनॉममक जोन – SEZ) स्थावपत ककए गए ।
VI. 2001 में विश्ि व्यापार संगठन में शाममल हो गया । इस तरह दूसरे देशों मलए
अपनी अथाव्यिस्था खोलने की ददशा में चीन में चीन ने एक कदम और बढ़ाया
हैं ।
12. चीनी सुधारों का नकारात्मक िहलू
I. िहााँ आर्थाक विकास का लाभ समाज के सभी सदस्यों को प्राप्त नहीं हुआ ।
II. पूंजीिादी तरीकों को अपनाए जाने से बेरोजगारी बढ़ी हैं ।
III. िहीं मदहलाओं के रोजगार और काम करने के हालात संतोषजनक नहीं हैं ।
IV. गााँि ि शहर के और तटीय ि मुख्य भूमम पर रहने िाले लोगों के बीच आय में अंतर बढ़ा
हैं ।
V. विकास की गततविर्धयों ने पयाािरर् को काफी हातन पहुंचाई हैं ।
VI. चीन में प्रशासतनक और सामाजजक जीिन में भ्रष्ट्टाचार बढ़ा हैं ।
13.चीन के साथ भारत के संबंध
7
वववाद के िेत्र
I. 1950 में चीन द्िारा ततब्बत को हड़पने तथा भारत चीन सीमा पर बजस्तयााँ बनाने
के फै सले से दोनों संबंध एकदम ब्रबगड़ गए ।
II. चीन ने 1962 में लद्दाख और अरुर्ाचल प्रदेश पर अपने दािे को जबरन स्थावपत
करने के मलए भारत पर आक्मर् ककया ।
III. चीन द्िारा पाककस्तान को मदद देना ।
IV. चीन भारत के परमार्ु परीक्षर्ों का विरोध करता हैं ।
V. बांग्लादेश तथा म्याम्मार से चीन के सैतनक संबंध को भारतीय दहतों के खखलाफ
माना जाता हैं ।
VI. संयुक्त राष्ट्र संघ ने आतंकी संगठन जैश – ए – मुहम्मद पर प्रततबंध लगाने िाले
प्रस्ताि को पेश ककया । चीन द्िारा िीटो पािर का प्रयोग करने से यह प्रस्ताि
तनरस्त हो गया।
VII. भारत ने अजहर मसूद के आतंकिादी घोवषत करने के मलए संयुक्त राष्ट्र संघ में
प्रस्ताि पेश ककया, जजस पर चीन ने िीटो पािर का प्रयोग ककया ।
VIII. चीन की महत्िाकांक्षी योजना Ones Belt One Road जो कक POK से होती हुई
जाएगी, उसे भारत को घेरने की रर्नीतत के तौर पर मलया जा रहा हैं ।
IX. िषा 2017 में भूटान के भू – भाग, परंतु भारत के मलए सामररक रूप से अत्यंत
महत्िपूर्ा डोकलाम पर आर्धपत्य के दािे को लेकर दोनों देशों के मध्य लंबा
वििाद चला जजससे दोनों देशों के मध्य संबंध तनाि पूर्ा हो गए । परंतु इस वििाद
के समाधान के मलए भारत के धैया पूर्ा प्रयासों और भारत के रुख को िैजश्िक स्तर
पर सराहा गया ।
1. सहयोग का दौर (िेत्र )
चीन के साथ भारत के संबंध
1.
वववाद के िेत्र
2.
सहयोग का दौर (िेत्र )
8
I. 1970 के शतक में चीनी नेतृत्ि बदलने से िैचाररक मुद्दों की जगह व्यािहाररक मुद्दे
प्रमुख हो रहे हैं ।
II. 1988 में प्रधानमंिी राजीि गांधी ने चीन की यािा की जजसके बाद सीमा वििाद पर
यथाजस्थतत बनाये रखने की पहल की गई ।
III. दोनों देशों ने सांस्कृ ततक आदान -प्रदान , विज्ञान और तकनीक के क्षेि में परस्पर सहयोग
और व्यापार के मलए सीमा पर चार पोस्ट खोलने हेतु समझौते ककए गए ।
IV. 1999 से द्विपक्षीय व्यापार 30 फीसदी सालाना की दर से बढ़ रहा हैं ।
V. विदेशों में ऊजाा सौदा हामसल करने के मामले में भी दोनों देश सहयोग द्िारा हल तनकालने
पर राजी हुए ।
VI. िैजश्िक धरातल पर भारत और चीन ने विश्ि व्यापार संगठन जैसे अन्य अंतरराष्ट्रीय
आर्थाक संगठनों के संबंध में एक जैसी नीततयां अपनाई हैं ।

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  • 1. 1 अध्याय – 4 सत्ता के वैकल्पिक कें द्र by Dr Sushma Singh (Core Academic Unit DOE GNCT of Delhi) िाठ के अंत में हम जान िाएंगे: शीतयुद्ध युद्धोत्तर विश्ि में विश्ि पटल पर कु छ ऐसे संगठन तथा देशों ने प्रभािशाली रूप से अंतरााष्ट्रीय राजनीतत में महत्िपूर्ा भूममका का तनिाहन करना प्रारम्भ ककया जजससे यह स्पष्ट्ट होने लगा कक यह संगठन तथा देश अमेररका की एक ध्रुिीयता के समक्ष विकल्प के रूप में देखे जा सकते हैं । अमरीका ने यूरोप की अथाव्यिस्था के पुनगाठन के मलए बहुत मदद की थी । इसे माशाल योजना के नाम से जानते हैं । 1. यूरोिीय संघ के गठन के उद्देश्य: 2. यूरोिीय संघ की ववशेषताएँ 3. यूरोिीय संघ को ताकतवर बनाने वाले कारक या ववशेषताएँ 4. यूरोिीय संघ की कमजोररयाँ 5. दक्षिण िूवी एशशयाई राष्ट्रों का संगठन (आशसयान) 6. आशसयान के मुख्य उद्देश्य 7. आशसयान शैली 8. आशसयान िेत्रीय मंच 9. आशसयान की उियोगगता या प्रासंगगकता 10. माओ के नेतृत्व में चीन का ववकास 11. चीन में सुधारों की िहल 12. चीनी सुधारों का नकारात्मक िहलू 13. चीन के साथ भारत के संबंध सत्ता के िैकजल्पक कें द्र यूरोपीय संघ आमसयान चीन
  • 2. 2 1948 में माशाल योजना के तहत यूरोपीय आर्थाक सहयोग संगठन की स्थापना की गई । जजसके माध्यम से पजश्चमी यूरोप के देशों को आर्थाक मदद की गई । 1957 में छ: देशों – फ्ांस, पजश्चम जमानी, इटली, बेजल्जयम, नीदरलैंड और लक्जमबगा ने रोम संर्ध के माध्यम से यूरोपीय आर्थाक समुदाय EEC और यूरोपीय एटमी ऊजाा समुदाय का गठन ककया। जून 1979 में यूरोपीय पामलायामेंट के गठन के बाद यूरोपीय आर्थाक समुदाय ने राजनीततक स्िरूप लेना शुरू कर ददया था । फरिरी 1992 में मास्रीस्ट संर्ध के द्िारा यूरोपीय संघ का गठन हुआ । 1. यूरोिीय संघ के गठन के उद्देश्य: I. एक समान विदेश ि सुरक्षा नीतत । II. आंतररक मामलों तथा न्याय से जुड़े मामलों पर सहयोग । III. एक समान मुद्रा का चलन । IV. िीजा मुक्त आिागमन । 2. यूरोिीय संघ की ववशेषताएँ I. यूरोपीय संघ ने आर्थाक सहयोग िाली संस्था से बदल कर राजनीततक संस्था का रूप ले मलया हैं । II. यूरोपीय संघ एक विशाल राष्ट्र -राज्य की तरफ काया करने लगा हैं । III. इसका अपना झण्डा, गान, स्थापना ददिस और अपनी एक मुद्रा हैं । IV. अन्य देशों से संबंधों के मामले में इसने काफी हद तक साझी विदेश और सुरक्षा नीतत बना ली हैं । V. यूरोपीय संघ का झंडा 12 सोने के मसतारों के घेरे के रूप में िहााँ के लोगों की पूर्ाता, संमग्रता, एकता और मेल - ममलाप का प्रतीक हैं । 3. यूरोिीय संघ को ताकतवर बनाने वाले कारक या ववशेषताएँ I. 2005 में यह दुतनया की सबसे बड़ी अथाव्यिस्था थी और इसका सकल घरेलू उत्पाद अमरीका से भी ज्यादा था । II. इसकी मुद्रा यूरो, अमरीकी डालर के प्रभुत्ि के मलए खतरा बन गई हैं । III. विश्ि व्यापार में इसकी दहस्सेदारी अमेररका से तीन गुना ज्यादा हैं । IV. यह विश्ि व्यापार संगठन के अंदर एक महत्िपूर्ा समूह के रूप में काया करता हैं ।
  • 3. 3 V. इसकी आर्थाक शजक्त का प्रभाि यूरोप,एमशया और अफ्ीका के देशों पर हैं । VI. इसका एक सदस्य देश फ्ांस सुरक्षा पररषद का स्थायी सदस्य हैं । इसके चलते यूरोपीय संघ अमरीका समेत सभी राष्ट्रों की नीततयों को प्रभावित करता हैं । VII. यूरोपीय संघ का सदस्य देश फ्ांस परमार्ु शजक्त सम्पन्न हैं । VIII. अर्ध राष्ट्रीय संगठन के तौर यूरोपीय संघ आर्थाक, राज नैततक और सामाजजक मामलों में दखल देने में सक्षम हैं । 4. यूरोिीय संघ की कमजोररयाँ I. इसके सदस्य देशों की अपनी विदेश और रक्षा नीतत हैं जो कई बार एक – दूसरे के खखलाफ भी होती हैं । जैसे इराक पर हमले के मामले में । II. यूरोप के कु छ दहस्सों में यूरो मुद्रा को लागू करने को लेकर नाराजगी हैं । III. डेनमाका और स्िीडन ने माजस्िस्स संर्ध और साझी यूरोपीय मुद्रा यूरो को मानने का विरोध ककया । IV. यूरोपीय संघ के कई सदस्य देश अमरीकी गठबंधन में थे । V. ब्रिटेन यूरोपीय संघ से जून 2016 में एक जनमत संग्रह के द्िारा अलग हो गया हैं । 5. दक्षिण िूवी एशशयाई राष्ट्रों का संगठन (आशसयान) अगस्त 1967 में इस क्षेि के पााँच देशों इन्डोनेमशया, मलेमशया कफमलपींस, मसंगापुर और थाईलैंड बैकांक घोषर्ा पि पर हस्ताक्षर करके ‘आमसयान’ की स्थापना की । बाद में िुनई, दारूस्लाम, वियतनाम, लाओस ,मयम्मार, और कम्बोडडया को शाममल ककया गया और इनकी संख्या 10 हो गई । 6. आशसयान के मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों के आर्थाक विकास को तेज करना । इसके द्िारा सामाजजक और सांस्कृ ततक विकास हामसल करना । कानून के शासन और संयुक्त राष्ट्र संघ के तनयमों का पालन करके क्षेिीय शांतत और स्थातयत्ि को बढ़ािा देना ।
  • 4. 4 7. आशसयान शैली अनौपचाररक, टकराि रदहत और सहयोगात्मक मेल – ममलाप का नया उदाहरर् पेश करके आमसयान ने काफी यश कमाया हैं। इसे ही ‘आमसयान ‘ शैली कहा जाने लगा । 1. आमसयान सुरक्षा समुदाय क्षेिीय वििादों को टकराि तक न ले जाने की सहमतत पर आधाररत हैं । 2. आमसयान आर्थाक समुदाय का उद्देश्य आमसयान देशों का सांझा बाजार और उत्पादन आधार तैयार करना तथा इस क्षेि के सामाजजक और आर्थाक विकास में मदद करना हैं । 3. आमसयान सामाजजक सांस्कृ ततक समुदाय का उद्देश्य हैं कक आमसयान देशों के बीच टकराि की जगह बातचीत और सहयोग को बढ़ािा ददया जाए । 8. आशसयान िेत्रीय मंच 1994 में आमसयान क्षेिीय मंच की स्थापना की गई । जजसका उद्देश्य देशों की सुरक्षा और विदेश नीततयों में तालमेल बनाना हैं । 9. आशसयान की उियोगगता या प्रासंगगकता I. आमसयान की मौजूद आर्थाक शजक्त खासतौर से भारत और चीन जैसे तेजी से विकमसत होने िाले एमशयाई देशों के साथ व्यापार और तनिेश के मामले में प्रदमशात होती हैं । II. आमसयान ने तनिेश, श्रम और सेिाओं के मामले में मुक्त व्यापार क्षेि बनाने पर भी ध्यान ददया हैं । आमसयान के प्रमुख स्तम्भ 1. आमसयान सुरक्षा समुदाय 2. आमसयान आर्थाक समुदाय 3. सामाजजक सांस्कृ ततक समुदाय
  • 5. 5 III. अमरीका तथा चीन ने भी मुक्त व्यापार क्षेि बनाने में रुची ददखाई हैं । IV. 1991 के बाद भारत ने पूरब की ओर देखो की नीतत अपनाई हैं । V. भारत ने आमसयान के दो सदस्य देशों मसंगापुर और थाईलैंड के साथ मुक्त व्यापार का समझौता ककया हैं । VI. भारत आमसयान के साथ भी मुक्त व्यापार संर्ध करने का प्रयास कर रहा हैं । VII. आमसयान की असली ताकत अपने सदस्य देशों, सहभागी सदस्यों और बाकी गैर -क्षेिीय संगठनों के बीच तनरंतर संिाद और परामशा करने की नीतत में हैं । VIII. यह एमशया का एक माि ऐसा संगठन हैं जो एमशयाई देशों और विश्ि शजक्तयों को राजनीततक और सुरक्षा मामलों पर चचाा के मलए मंच उपलब्ध करता हैं । IX. हाल ही में भारतीय प्रधान मंिी ने आमसयान देशों की यािा की तथा विमभन्न क्षेिों में सहयोग बढ़ाने पर समझौते ककए तथा पूिा की ओर देखो नीतत के स्थान पर पूिोत्तर काया नीतत (एक्ट ईस्ट पामलसी) की संकल्पना प्रस्तुत की । इसी के अन्तगात िषा 2018 के गर्तंि ददिस समारोह में आमसयान देशों के राष्ट्राध्यक्षों को अततर्थ के रूप में आमजन्ित ककया गया था । 10.माओ के नेतृत्व में चीन का ववकास 1949 की क्ांतत के द्िारा चीन में साम्य िादी शासन की स्थापना हुई । शुरू में यहााँ साम्य िादी अथाव्यिस्था को अपनाया गया था । लेककन इसके कारर् चीन को तनम्नमलखखत समस्याओं का सामना करना पड़ा । I. चीन ने समाज िादी मााँडल खड़ा करने में विशाल औद्योर्गक अथाव्यिस्था का लक्ष्य रखा । इस उद्देश्य को प्राप्त करने के मलए अपने सारे संसाधनों को उद्योग में लगा ददया । II. चीन अपने नागररकों को रोजगार, स्िास््य सुविधा और सामाजजक कल्यार् योजनाओं का लाभ देने के मामले विकमसत देशों से भी आगे तनकाल गया लेककन बढ़ती जनसंख्या विकास में बढ़ा उत्पन्न कर रही थी । III. कृ वष परम्परागत तरीकों पर आधाररत होने के कारर् िहााँ के उद्योगों की जरूरत को पूरा नहीं कर पा रही थी ।
  • 6. 6 11.चीन में सुधारों की िहल I. चीन ने 1972 में अमरीका से संबंध बनाकर अपने राजनीततक और आर्थाक एकांतिास को खत्म ककया । II. 1973 में प्रधानमंिी चाऊ एन लाई ने कृ वष, उद्योग, सेिा और विज्ञान – प्रौद्योर्गकी के क्षेि में आधुतनकरर् के चार प्रस्ताि रखे । III. 1978 में तत्कालीन नेता देंग श्याओपेंग ने चीन में आर्थाक सुधारों और खुले द्िार की नीतत की घोषर्ा की । IV. 1982 में खेती का तनजी करर् ककया गया । V. 1998 में उद्योगों का तनजी करर् ककया गया । इसके साथ ही चीन में विशेष आर्थाक क्षेि (स्पेशल इकनॉममक जोन – SEZ) स्थावपत ककए गए । VI. 2001 में विश्ि व्यापार संगठन में शाममल हो गया । इस तरह दूसरे देशों मलए अपनी अथाव्यिस्था खोलने की ददशा में चीन में चीन ने एक कदम और बढ़ाया हैं । 12. चीनी सुधारों का नकारात्मक िहलू I. िहााँ आर्थाक विकास का लाभ समाज के सभी सदस्यों को प्राप्त नहीं हुआ । II. पूंजीिादी तरीकों को अपनाए जाने से बेरोजगारी बढ़ी हैं । III. िहीं मदहलाओं के रोजगार और काम करने के हालात संतोषजनक नहीं हैं । IV. गााँि ि शहर के और तटीय ि मुख्य भूमम पर रहने िाले लोगों के बीच आय में अंतर बढ़ा हैं । V. विकास की गततविर्धयों ने पयाािरर् को काफी हातन पहुंचाई हैं । VI. चीन में प्रशासतनक और सामाजजक जीिन में भ्रष्ट्टाचार बढ़ा हैं । 13.चीन के साथ भारत के संबंध
  • 7. 7 वववाद के िेत्र I. 1950 में चीन द्िारा ततब्बत को हड़पने तथा भारत चीन सीमा पर बजस्तयााँ बनाने के फै सले से दोनों संबंध एकदम ब्रबगड़ गए । II. चीन ने 1962 में लद्दाख और अरुर्ाचल प्रदेश पर अपने दािे को जबरन स्थावपत करने के मलए भारत पर आक्मर् ककया । III. चीन द्िारा पाककस्तान को मदद देना । IV. चीन भारत के परमार्ु परीक्षर्ों का विरोध करता हैं । V. बांग्लादेश तथा म्याम्मार से चीन के सैतनक संबंध को भारतीय दहतों के खखलाफ माना जाता हैं । VI. संयुक्त राष्ट्र संघ ने आतंकी संगठन जैश – ए – मुहम्मद पर प्रततबंध लगाने िाले प्रस्ताि को पेश ककया । चीन द्िारा िीटो पािर का प्रयोग करने से यह प्रस्ताि तनरस्त हो गया। VII. भारत ने अजहर मसूद के आतंकिादी घोवषत करने के मलए संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रस्ताि पेश ककया, जजस पर चीन ने िीटो पािर का प्रयोग ककया । VIII. चीन की महत्िाकांक्षी योजना Ones Belt One Road जो कक POK से होती हुई जाएगी, उसे भारत को घेरने की रर्नीतत के तौर पर मलया जा रहा हैं । IX. िषा 2017 में भूटान के भू – भाग, परंतु भारत के मलए सामररक रूप से अत्यंत महत्िपूर्ा डोकलाम पर आर्धपत्य के दािे को लेकर दोनों देशों के मध्य लंबा वििाद चला जजससे दोनों देशों के मध्य संबंध तनाि पूर्ा हो गए । परंतु इस वििाद के समाधान के मलए भारत के धैया पूर्ा प्रयासों और भारत के रुख को िैजश्िक स्तर पर सराहा गया । 1. सहयोग का दौर (िेत्र ) चीन के साथ भारत के संबंध 1. वववाद के िेत्र 2. सहयोग का दौर (िेत्र )
  • 8. 8 I. 1970 के शतक में चीनी नेतृत्ि बदलने से िैचाररक मुद्दों की जगह व्यािहाररक मुद्दे प्रमुख हो रहे हैं । II. 1988 में प्रधानमंिी राजीि गांधी ने चीन की यािा की जजसके बाद सीमा वििाद पर यथाजस्थतत बनाये रखने की पहल की गई । III. दोनों देशों ने सांस्कृ ततक आदान -प्रदान , विज्ञान और तकनीक के क्षेि में परस्पर सहयोग और व्यापार के मलए सीमा पर चार पोस्ट खोलने हेतु समझौते ककए गए । IV. 1999 से द्विपक्षीय व्यापार 30 फीसदी सालाना की दर से बढ़ रहा हैं । V. विदेशों में ऊजाा सौदा हामसल करने के मामले में भी दोनों देश सहयोग द्िारा हल तनकालने पर राजी हुए । VI. िैजश्िक धरातल पर भारत और चीन ने विश्ि व्यापार संगठन जैसे अन्य अंतरराष्ट्रीय आर्थाक संगठनों के संबंध में एक जैसी नीततयां अपनाई हैं ।